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llमातृ वंदनाll

llमातृ वंदनाll

मां तू है जननी, तू ही जन्म दात्री,
तू तो है सृष्टि का आधार।
तो फिर मातृ वंदन को क्यों हमें,
मातृ दिवस का इंतजार।
देखो मातृ दिवस आया है,
सब ने क्या खूब फर्ज निभाया है।
मैंने चाहा ,मैंने पूजा ,
मेरे जैसा ना कोई दूजा,
ऐसा सब ने जतलाया है।।
सारे दिन की तरह यह दिन भी चला जाएगा,
और फिर एक नया वृद्धा आश्रम खुल जाएगा ।
दिवस देखकर पूजने वाले
जाने कहां छिप जाएंगे,
मत हो मां तू उदास
अगले बरस वो फिर आएंगे।
मां से प्यार जताने को
वह फेसबुक पर स्टेटस लगाते हैं,
 दुनिया को दिखालाने को।
आई लव यू ,आई मिस यू कहकर
 अपना प्यार जताएंगे,
और अगली सुबह होते ही वह मां,
 तुझे भूल जाएंगे।
क्या हमने कभी सोचा है,
मां ने हमको सींचा है।
उसने ना तो रात देखी ,
ना ही देखा कोई दिन।
नौ माह अपने कोख में रखकर,
 गिनती रही एक-एक दिन।
भागदौड़ की इस दुनिया में
हमने मां का प्रेम भुलाया है,
मातृ दिवस का दिन निश्चित कर
हमने प्यार जताया है।
मां तो है भोली भाली
इस पर भी खुश हो लेती है,
एक दिवस ही हो सही
पर बेटे को देख रो लेती है।
जानती है छलावा है ये,
बेटे का दिखावा है ये।
पर मां तो मां होती है,
वह सब सह लेती है।
और अपने बच्चों को
सदा आशीष ही देती है।।
मां के चरणों में तीन लोक की शक्ति है,
मातृ वंदना से बढ़कर नहीं कोई भक्ति है।
मां के चरणो में जो तुम,
 नित शीश झुकाओगे,
जीवन की इस कठिन डगर को ,
सहज पार कर जाओगे।

सुप्रिया मिश्रा(स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय गंगा पिपरा
क्षेत्र -खजनी, जनपद-गोरखपुर

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