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कर्मवीर योद्धा

कर्मवीर योद्धा

न भूख की चिंता न घर जाने का समय,
सेवाभाव का प्रण लिए धरती के भगवान अपना फ़र्ज़ निभा रहें हैं।
संकट के इस दौर में जब अपने भी दूरी बना रहें हैं,
तब कर्मवीर योद्धा अपनी जिम्मेदारी निभा रहें हैं।।

कोई भूखा न रहे,   
घर में सुरक्षित हम रहें,
दिन - रात इंतजाम में लगे हुए हैं।
देश  बचाने के खातिर ,
सेवा भाव का प्रण लिए,
सजग राष्ट्र के प्रहरी 
कर्मवीर योद्धा अपनी जान की बाजी लगा रहें हैं।।

गांव - शहर की गली - गली को ,
स्वच्छ और निर्मल बना रहें है।
सदियों तक रहे सम्मान से ओझल 
कर्मवीर योद्धा अपनी महत्ता बता रहें हैं।।

बचाव सुरक्षा के उपायों को,
घर - घर तक पहुंचा रहें हैं,
देश काल पर नजर रख,
संकट के आयामों को आगाह करा रहें हैं।
चौथे स्तम्भ के सजग प्रहरी भी अपनी भूमिका निभा रहें हैं।।

जग की खुशियों की खातिर,  अपने तन को तपा रहें हैं
सारा जग उनके कर्मों का मंगल गान गा रहें हैं।
कर्मवीर योद्धा जग में खुशियां फैला रहें हैं।।

कृतज्ञ राष्ट्र धरती से आसमां तक उन पर सुमन वर्षा रहें हैं।
धन्य हुआ जीवन उनका,
सदियों तक के लिए कुल का यश फैला रहें है।।

✍️
रवीन्द्र नाथ यादव (स.अ.)
 प्राथमिक विद्यालय कोड़ार उर्फ बघोर नवीन
क्षेत्र - गोला, गोरखपुर

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