चेहरे Nirupama MishraAugust 20, 2015 नकाबों में छुपे हैं चेहरे कितने झूठे थे ख्वाब जो, वो सुनहरे कितने निगाहें भी निगेहबां भी हमारे वो दिखाये अक्स जो, वो दोहरे कितने ---- ...Read More
कविता का उपहार लिखे UnknownAugust 06, 2015 भाव शिल्प रस लय में डूबी, कविता का उपहार लिखें आओ प्रियवर! हम तुम मिलकर सपनों का संसार लिखें अक्षर अक्षर रस बिखरा हो, पंक्ति पंक्ति मदम...Read More
मंज़िलें खो गईं, रास्ता रह गया UnknownAugust 04, 2015 मंज़िलें खो गईं रास्ता रह गया एक राही कदम नापता रह गया मीत लाखों मिले इस जहाँ में मगर, प्रीत की रीत मैं, खोजता रह गया नेकियाँ उठ गयीं...Read More