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पढाई का नाटक

             सरकारी प्राइमरी स्कूल एक ऐसी जगह है जहाँ पढ़ाई होने का नाटक रोज होता है और वर्षों से यह क्रम अनवरत जारी है शिक्षा विभाग इस नाटक कंपनी की मालिक है और सरकार उसकी फाइनेंसर। विभाग में जनपद के अधिकारी इसके मैनेजर नियुक्त हैं। स्कूल के बच्चे ,रसोइया और अध्यापक इसके कलाकार। इस नाटक से समाज में लोग शिक्षित होने का अहसास प्राप्त करते हैं।
स्थान -सरकारी स्कूल समय-9से3 प्रतिभागी-100 बच्चे 2 अध्यापक और 2 रसोइया


      दृश्य 1
      सुबह के 8:45 बज चुके है कुछ बच्चे स्कूल के गेट पर इकट्ठा हो चुके हैं अधिकांश सरकार की दी हुयी घटिया मैली कुचैली यूनिफार्म में चमक रहे हैं।ठंड होने के बाबजूद बच्चों पर स्वेटर नहीं है पर उन्हें ठण्ड भी नहीं लग रही है यह उनके चेहरे से पता चल रहा है। और पैरों में चप्पल तो अधिकांश बच्चों के नहीं है।ज्यादातर बिना नहाये ही स्कूल आ गए हैं बालों की हालत बता रही है कि उन्होंने कई महीने से तेल नहीं लगाया है।इस नाटक में बिना नहाये आने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। कुछ बच्चे स्कूल की बॉउंड्री फांद कर गेट के अंदर पहले से ही मास्साब की अगवानी करने को तैयार खड़े हैं ।मास्टर साहब की मोटर साइकिल की आवाज सुनकर बच्चे चहकने लगते हैं। एक कुछ सुन्दर सा कक्षा-5 का बच्चा मास्टर साहब से चाबी लेकर ताला खोल देता है।कुछ बच्चे मोटर साइकिल पर टंगे सब्जी और राशन बाले थैले को उतार कर किचिन में पंहुचा देते हैं।मास्टर साहब गाड़ी पर बंधा सिलेंडर लेकर  शेष बच्चे स्कूल में प्रवेश कर जाते हैं।


दृश्य-2
     कई बच्चे एक साथ कोने में इकट्ठी झाड़ू उठा लेते हैं और कमरा, बरामदा और ग्राउंड की सफाई चालू हो जाती है।(स्कूल का सफाई कर्मी पंचायत में लगा है)मास्टर साहब बरामदे में कुर्सियां लगाकर अपने कई रजिस्टर सजा देते हैं। कक्षा में सजी और फटी टाट पट्टी के कब्जे की लड़ाई चल रही है।मास्टर साहब की हुंकार और आदेश के बाद बच्चे अब लाइन लगा रहे हैं जल्दी जल्दी प्रार्थना ख़त्म हो जाती है (क्योंकि पढ़ाई का समय शुरू होने को है)। बच्चे अपनी अपनी कक्षाओं में चले गए हैं।कुछ बच्चे स्कूल में बमुश्किल बचाये गए पौधों में पानी डाल रहे हैं। और मास्टर साहब अपने रजिस्टर पूरे कर रहे हैं।


    दृश्य-3
मास्टर साहब ने हाजिरी लगाना चालू कर दिया है पर बच्चों का आना लगातार जारी है।मास्टर साहब देरी से आये बच्चों को डांट लगा रहे हैं पर यह क्रम तो वर्षों से जारी है इसलिए बच्चों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं है और बच्चे मुस्करा रहे हैं।10 बजे तक अधिकांश बच्चे स्कूल आ चुके हैं विद्यालय के हैंडपंप पर गांव के लोग पानी भर रहे हैं। कुछ बच्चे तो हमेशा 11 के आसपास आते हैं क्योंकि उन्हें घर के काम भी निपटाने होते हैं  इसलिए मास्टर साहब ने अभी रजिस्टर पर योग नहीं किया है ।मास्टर साहब अब रसोईघर में हैं और बच्चों के मिड डे मील के लिए राशन रसोइया को दे रहे हैं।कक्षाओं में शोर शुरू हो गया है।


 दृश्य-4
   मास्टर साहब कक्षा 5 में प्रवेश कर चुके हैं।कक्षा 4 उनके साथ ही बैठी है।कक्षा में हिलने डुलने की भी जगह नहीं है।कक्षा 3 मॉनिटर के भरोसे है कक्षा 1 और 2 शिक्षामित्र केवल देख रही है।कक्षा 5 और कक्षा 4 को इमला लिखने का काम देकर मास्टर साहब हाजिरी का लेखा बना कर अब मिड डे मील रजिस्टर पूरा कर रहे हैं।अधिकांश बच्चे फटी किताबों के बीच हिफाजत से रखी अपनी एकलौती कॉपी निकाल कर इमला लिख चुके हैं और मोनिटर उनकी कॉपी जांच रहा है।काम ख़त्म कर मास्टर साहब अब बच्चों को गणित पढ़ाने बैठ जाते हैं और कुछ जोड़ घटना के सवाल ब्लैक बोर्ड पर लिख देते हैं तब तक 11:15 का समय हो चुका है निर्देशानुसार विद्यालय का एक मात्र रेडियो चल रहा है। कक्षा 4-5 के बच्चे रेडियो सुन रहे हैं और बाहर से कक्षा 3 के बच्चे खिड़कियों से ही मीना की कहानियों का लुफ्त उठा रहे हैं।तब तक किसी का फोन आ जाता है कुछ जरुरी सूचना मांगी गयी है ऐसा बताकर मास्टर साहब फिर से दौड़कर रजिस्टर से कुछ उतारने लगते हैं काम पूरा कर वो फिर फोन लगाकर काफी देर तक कागज देख देख कर कुछ बता रहे हैं।


     दृश्य-5
रसोइया की खबर आ चुकी है बच्चे बस्ते से कटोरी निकालकर रसोई के बहार लाइन लगा चुके है।खाना लिए ग्राउंड पर जगह जगह झुण्ड बन गए है बच्चे तहरी खाने में मस्त हैं।नियमित समय पर गांव के पालतू कुत्ते भी स्कूल के बाहर लाइन लगाये है।बच्चे अपना कुछ खाना इन कुत्तों को डाल रहे हैं। विद्यालय के एक मात्र हैंडपंप पर भारी भीड़ लग चुकी है बड़े बच्चे छोटे बच्चों को पीछे कर हैंडपंप पर कब्ज़ा कर चुके हैं।कुछ बच्चे पानी पीने के प्रयास में बाकायदा नहा चुके हैं।मास्टर साहब डंडा लिए दरोगा की भूमिका में आ चुके हैं।बच्चे अपने अपने बर्तन साफ कर अपनी कक्षा में पहुंचकर अपने बस्तों में बंद करते जा रहे हैं।1:15 का समय हो चूका है


    दृश्य-6
1:30 का समय हो रहा है मास्टर साहब फिर अपनी कक्षा में पहुँच चुके थे लड़के खेल खिलाने की जिद कर रहे हैं पर मास्टर साहब तैयार नहीं हैं।मास्टर साहब पर पाठ्यक्रम को पूरा करने का दबाव नजर आ रहा है।बच्चे पूँछ रहे हैं कि विज्ञानं के मास्साब कब आएंगे।विज्ञानं के मास्साब तो पहले बी एल ओ फिर जनगणना फिर ट्रैनिंग फिर चुनाव के चलते दो महीने से गायब हैं।हिंदी गणित के अलावा बाक़ी विषय कई महीनों से पढ़ाये जाने का इंतज़ार कर रहे हैं।मास्टर साहब बच्चों गणित विषय को पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।पर तब तक कक्षा 3 में बवाल हो गया है।बच्चों की लड़ाई में कुछ चुटहिल हो चुके हैं।मास्टर साहब उनकी पंचायत करा रहे हैं और गब्बर टाइप बच्चों की पिटाई हो रही है।तब तक 4 और 5 से भारी शोर होने लगता है। अब तीनो कक्षाएं एक साथ आ चुकी हैं।पढ़ाई शुरू हो तब तक कोई महाशय आ चुके है। मास्टर साहब रजिस्टर में औंधे होकर लिखा पढ़ी कर रहे हैं।स्कूल 2 एकम दो ,दो दूनी चार की ऊँची आवाज से गुजांयमान है।


दृश्य-7
  कक्षा में टाट पट्टी फटकी जा रही हैं खूब धूल उड़ रही है सने पुते बच्चे अपना बस्ता स्कूल ग्राउंड में रख चुके है और बहुत खुश हैं ।सुबह बाले बच्चे पुनःअपनी ड्यूटी में लग गए हैं। स्कूल के सभी ताले लगाकर बच्चों ने चाबी मास्टर साहब को सौप दी है और थैला खाली होकर उनकी गाड़ी की डिग्गी में प्रवेश कर चुका है। मास्टर साहब बच्चों से बतिया रहे है। स्कूल ना आने बाले बच्चों के घर खबर करने की जिम्मेदारी सौपी जा रही है और कारण पूछे जा रहे।लहसुन, गेहूं और आलू की फसल में लगे बच्चों की जानकारी की जा रही है कल सभी को बुलाकर लाने की हिदायत के साथ मास्टर साहब की गाड़ी स्टार्ट हो चुकी है और बच्चे गांव की और दौड़ लगा चुके हैं ।


   अगले दिन फिर पढ़ाई के नाटक की घोषणा के साथ पर्दा गिरता है।


  दशकों से प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई का यह नाटक जारी है और इसको जारी रखने में और रोचक बनाये रखने में शिक्षा विभाग के आला अधिकारी अध्यापक को नित नयी जिम्मेदारी देकर अपनी भूमिका का महत्त्व कम नहीं होने दे रहे हैं। अध्यापक के बच्चों के साथ संवाद के दृश्य काटकर अन्य कार्यों के दृश्य जोड़े जा रहे हैं ।बच्चे घटते जा रहे हैं और कर्मचारियों में कटौती की जा रही है।अध्यापक मुफ़्त में वेतन ना ले पाये इसलिए कंपनी मालिक की तरफ से मैनेजर को अन्य विभागों के काम सौपकर वेतन के बराबर काम लेने के गुप्त निर्देश दिये गए हैं। अध्यापक पढ़ाई का नाटक नहीं करना चाहते पर उन्हें यह करने को मजबूर किया जा रहा है।पात्र भले ही बदल जाएँ काम भी बदल जाएँ पर पढ़ाई का यह नाटक विभाग जारी रखेगा। क्योंकि फाइनेंसर तभी तक फाइनेंस करेगा जब तक नाटक चलता रहेगा।और मैनेजर तब तक सुरक्षित है जब तक वह नाटक के सफल मंचन की सूचना मालिक को देता रहेगा।मालिक का मकसद इस नाटक की आड़ में सरकार और जनता को गुमराह करते हुए पैसे कमाना भर दिख रहा है।

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