Breaking News

मैं भारत हूँ

भारत के दो पहलुओं की रचना-1

मैं भारत हूँ 


जी हाँ 
मैं भारत हूँ 
मैं गीता पुराण वेद उपनिषदों का भंडार हूँ।
 मैं धरोहर हूँ मानवता की 
 भेदभाव से परे 
हर धर्म की निर्मल सी एकता हूँ।
अध्यात्म और ऋषि मुनियों के चिंतन की 
अनोखी सी गाथा हूँ।
मैं भारत हूँ।
सर्वमंगल की प्रार्थना वसुधैव कुटुंबकम की भावना
समग्र विश्व का चैतन्य हूँ।
सभ्यता संस्कृति पुरातन 
संस्कार की अभीप्सा
हर धर्म में एकता लिए
शस्य श्यामला का उद्घाटक हूँ।
मैं भारत हूँ 
सत्य की परिभाषा देवभाषा अनगिनत धरोहरों की पहचान 
  अड़िंग खड़ा हिमालय सा 
हर धर्म रंगभाषा की मिशाल हूँ।
हाँ मैं भारत हूँ 
सब की पहचान हूँ 
मैं बेहद विशाल सबको समेटे 
एकता की अमिट आख्यान हूँ।
स्वतंत्र हूँ सुंदर हूँ 
हाँ मैं अदभुत भारत हूँ।।


मैं भारत था-2

मैं भारत हूँ 
पहले मैं पूर्ण था 
अब मैं अपूर्ण हूँ।
मैं हरा भरा हरियाली बन
खेतों में लहराता था 
अब मैं सिर्फ 
 घनी बस्ती बन हाफ़ता हूँ।
बट गया कई हिस्सों में अब मैं
कभी धर्म कभी जात-पात 
 घटता गया कई प्रांतों में मैं 
अब डरने लगा हूँ 
मैं और मेरी बाजुएं 
क्योंकि पल रहा है 
मुझमें आतंकवाद।
अव्यवस्था,अनहोनियों से 
भर चुका है अब मेरा मन 
सोचता हूँ कि 
अब मैं कैसा भारत हूँ?
 पहले मुस्कुराता 
हरियाली से भरा खुशहाल 
 मैं भारत था। 
आज बेबस
अपनी जर्जर अवस्था से दुखी      
मै भारत हूँ।

✍️
दीप्ति राय दीपांजलि 
कंपोजिट विद्यालय रायगंज 
खोराबार गोरखपुर

कोई टिप्पणी नहीं