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ये यूपी बना निराला

ये यूपी बना निराला(व्यंग)


जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला
बन्द करें पठशाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।
जहाँ मदिरालय कम्पोजिट हो
विद्यालय पर हो ताला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।

ये धरती हैं जहाँ नौकरशाही
 विद्या का व्यापार करे,
जहाँ हर नेता विद्यालय खोले 
नित निज का उद्धार करे।
जहाँ गली गली बिन मानक के
विद्यालय को है पाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।
जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला
बन्द करें पठशाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।

जहाँ गाँव गरीब के बच्चों को 
शिक्षा से वंचित करते हैं,
जहाँ निजी विद्यालय शोषित कर
अपनी जेब ही भरते हैं,
जहाँ शिक्षा इतनी महँगी हो,
वहाँ कैसे चले निवाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।
जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला
बन्द करें पठशाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।

जहाँ विकसित यूपी के सपने
हर रोज दिखाए जाते हैं,
सब पढ़ जायें सब बढ़ जाएँ
नारे लगवाए जाते हैं,
बिन पढ़े ही यूपी विकसित हो
तूने ये भ्रम क्यों पाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।
जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला
बन्द करें पठशाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।

जहाँ गाँव की बेटी पढ़ने को
बस्ता लेकर तैयार हुई,
घर से निकली दो कदम चली
जैसे ही सड़क को पार हुई।
विद्यालय के दरवाजे पर लटका
सरकारी ताला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।
जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला
बन्द करें पठशाला, 
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।

जहाँ शिक्षा की दीक्षा देंना
घाटे का सौदा लगता है,
अब सारे अनपढ़ बन जायें,
सरकारी मसौदा लगता है,
सरकार न जानें पोत रही क्यों
अपने मुँह पर काला।
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।
जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला
बन्द करें पठशाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।

जहाँ विश्व गुरु बनने के खातिर
शिक्षा के पर कतरे हैं,
आने वाली पीढ़ी के जीवन में
खतरे ही खतरे हैं,
जहाँ शिक्षा में प्रतिदिन प्रयोग कर
करते गड़बड़ झाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।
जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला
बन्द करें पठशाला,
ये यूपी बना निराला,
ये यूपी बना निराला।।

✍️
रमेश तिवारी 
प्रभारी प्रधानाध्यापक 
प्राथमिक विद्यालय हरमन्दिर खुर्द,क्षेत्र-फरेन्दा जनपद-महराजगंज







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