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अमात्रिक शब्दों की कविता

अमात्रिक शब्दों की कविता


अमन रमन अब,घर पर मत रह,
 गगन चमन अब,डरकर मत रह।
 झटपट चलकर,सरपट चलकर,
अब पढ़ मन भर,अब पढ़ मन भर।।१।।

अगर मगर अब,मत कर मत कर,
 ठहर-ठहर अब,मत कर मत कर।
 झटपट चलकर,सरपट चलकर,
 अब पढ़ मन भर,अब पढ़ मन भर।।२।।

रतन नयन अब,सदन ठहर मत,
अचल अमर अब,भवन ठहर मत।
 झटपट चलकर,सरपट चलकर ,
अब पढ़ मन भर,अब पढ़ मन भर।।३।।

 महक चहक कर,सतपथ बढ़ चल,
सतपथ बढ़ चल,झट पट बढ़ चल।
 सकल अकल भर,कल-कल मत कर,
 अब पढ़ मन भर,अब पढ मन भर।।४।।

अकबर बन कर,गज पर चढ़कर,
रहबर मत बन,रहमत बन कर।
अरसद अफजल,अब झटपट चल,
अब पढ़ मन भर,अब पढ़ मन भर।।५।।

 डगमग डगमग,मत चल मत चल ,
इधर-उधर अब,मत कर मत कर ।
झटपट चलकर,सरपट चलकर ,
अब पढ़ मन भर,अब पढ़ मन भर।।६।।

अब सब अक्षर,शहद समझ कर,
शहद समझ कर,अब सब अक्षर।
 मन भर श्रम कर,श्रम मत कम कर,
 अब पढ़ मन भर,अब पढ मन भर।।७।।

धर अधरन पर,सबद-सबद अब,
सबद-सबद अब,धर अधरन पर।
 जनगण वस कर,जन गण यश कर,
अब पढ़ मन भर,अब पढ़ मन भर।।८।।

 अड़चन  मत  बन, हसरत  बनकर,
 नफरत  मत  बन, दशरथ  बनकर।
 क्षण-क्षण-यशकर,कण-कण यशकर,
अब पढ़ मन भर,अब पढ़ मन भर।।९।।

बक-बक मत कर,गप-शप मत कर,
अब चल तप कर,अब सब सच कर।
सफ़ल फसल बन,असफल मत बन,
अनपढ़ मत बन,अब पढ़ मन भर।।।१०।।

✍️
रमेश तिवारी(सहायक अध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय हरमन्दिर खुर्द
क्षेत्र-फरेन्दा
जिला-महराजगंज,(उत्तर-प्रदेश)
जङ्गम वाणी संख्या-९८३९२५३८३३

1 टिप्पणी:

  1. उत्तम सृजन आदरणीय ।आपकी भारती सदैव चमत्कृत करती रहे ऐसी प्रार्थना ।।

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