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पहलगाम के हादसें

पहलगाम के हादसें

पहलगाम के हादसों से विचलित है मन।
परेशान हैरान हूं मैं आज लिखूं तो क्या लिखूं।।
अमरनाथ, पुलवामा, कारगिल, पहलगाम की दास्तान ,
 बिछी  हर ओर लाशें,लाशें है पुरा लहू लुहान,
काली स्याही से लिखी घाटी की तकदीर लिखूं ,
परेशान हैरान हूं मैं आज लिखूं तो क्या लिखूं।
मृत पिता की छाती से लिपटे मासूम की पुकार,
नव विवाहिताओं के उजड़े सिंदूर की लगेगी हाय,
दर्द से कराहते रक्त रंजीत सैलानियों की चीतकार लिखूं,
परेशान हैरान हूं मैं आज लिखूं तो क्या लिखूं।
हिमालय की गोद ऊंची पहाड़ झेलम का निनाद,
स्वर्ग से आती हवा या चीड़ और देवदार,
या आतंक की बंदूक से निकली खून की फुहार लिखूं,
परेशान हैरान हूं मैं आज लिखूं तो क्या लिखूं।
लिखूं अपनी थर-थराती कलम से बार-बार,
पुरा भारत देश हुआ देख शर्म से तार-तार,
माँ की उजड़ी गोद पिता के नैनों से बहते आंसुओं की गुहार लिखूं,
परेशान हैरान हूं मैं आज लिखूं तो क्या लिखूं।

✍️
नीलम दुबे "नीलू"
गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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