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सफाई पर निलंबन : जिम्मेदार कौन ?

 प्रधानाध्यापक निलंबित हो चुके थे,रंगे हाथों बच्चों से झाड़ू लगवाते और उन्होंने मेडिकल लीव ले ली थी।रामू और राधा दौड़ते हुए आये और मास्टर जी व मैडम जी के हाथ से झाड़ू छीनते हुए बोले कि "झाड़ू हम लगाएंगे ,आप केवल हमें पढ़ाएंगे गुरूजीे।"
दोनों शिक्षकों ने बच्चों से झाड़ू लेना तो चाहा,किन्तु बच्चों के इस वाक्य ने उनके हृदय को बेध डाला था। आँखों में आँसू भर गए जिसे छिपाने के लिये दोनों ऑफिस में चले गए। आज फिर बीएसए साहब का दौरा था। शिकायत हुई थी कि प्रधानाध्यपक बच्चों से झाड़ू लगवाते हैं और कुछ पढ़ाते नहीं,परदे के पीछे प्रधान का हाथ था जिसके दबाव में रसोइयों का चयन हुआ था। अतः रसोइयों की निष्ठा प्रधान के प्रति ही थी। उन्होंने झाड़ू लगाने से साफ़ इंकार कर दिया था। सफाईकर्मी की प्रधान से साठ-गाँठ थी,और कुछ पैसे देकर वह महीने में एक बार आता था,वो भी केवल साइन कराने। प्रधानाध्यापक ने एक बार उसकी उपस्थिति प्रमाणित करने से इंकार कर दिया था तो प्रधान ने Mdm और Smc के चेक पर साइन रोक दी थी। तब से प्रधानाध्यापक आँखें मूंद के प्रमाणीकरण कर देते। एक बार ब्लॉक पर सफाईकर्मी की शिकायत प्रधानाध्यापक ने कर दी थी,जिस पर प्रधान ने 20 लोगों के हस्ताक्षरयुक्त विद्यालय की पुताई न कराने का शिकायती पत्र खण्ड शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया था। गनीमत यह थी कि खण्ड शिक्षा अधिकारी ने प्रधान से शिकायती पत्र वापस लेने का अनुरोध किया था अन्यथा एक प्रति बीएसए साब को भी जानी थी। उस समय प्रधानाध्यापक को खण्ड शिक्षा अधिकारी स्वयं बुलाकर समझाए थे कि " देखो,प्रधान जी प्रभावशाली आदमी हैं सारे गांव वाले उनके कहने पर तुम्हारे खिलाफ गवाही देने को तैयार हो जाएंगे।इसलिये तुम्हारे पक्ष में हमारी रिपोर्ट महत्वहीन हो जायेगी।हम जानते हैं एक हफ्ते पहले ही पुताई हुई है लेकिन जब पूरा गांव कहेगा कि पुताई नहीं हुई है तब हमाऱी सुनेगा कौन।तुम्हारा साथ देकर मैं प्रधान से अदावत मोल नहीं ले सकता,मेरी भी कुछ मजबूरियां हैं।" 
तबसे प्रधानाध्यापक बच्चों से ही झाड़ू लगवाते,इस बार Smc अध्यक्ष का चयन उन्होंने प्रधान के दिए नाम पर नहीं बल्कि खुली बैठक में कराने की डुगडुगी गाँव में बजवा दी थी,जिसकी खुन्नस प्रधान ने प्रधानाध्यापक को निलंबित करवाकर निकाली थी। अक्सर दोनों ही सहायक अध्यापक प्रधानाध्यापक का सहयोग न करते,वे शिक्षण कार्य को ही केवल अपना दायित्व समझते थे। बच्चों की उपस्थिति,ठहराव,नामांकन,स्वच्छता में उनका कोई योगदान न था।प्रधानाध्यापक के लीव पर जाने से उन पर अचानक भार आ पड़ा था। निलंबन के प्रकरण से दोनों डर गये थे। बच्चों से झाड़ू लगवाने की हिम्मत अब मास्टरों में न बची थी इसलिये हफ्ते भर से झाड़ू न लगी थी। दौरे की खबर से आनन-फानन में दोनों अध्यापक जल्दी पहुंचकर झाड़ू उठा लिये थे। उस समय कोई बच्चा न था इसलिये झाड़ू लगाने में कोई शर्मिंदगी न लगती लेकिन रामू और राधा के अचानक आ जाने और झाड़ू छीन लेने से शिक्षक का स्वाभिमान जाग गया और आंसू आ गए। अब तक दोनों संयत हो चुके थे और वापस आकर झाड़ू लेते हुए बोले " जाओ बच्चों को गाँव से जल्दी बुला लाओ फिर झाड़ू लगाना।बच्चे गाँव में चले गए। बीएसए साब के डर के आगे शिक्षक का स्वाभिमान बौना हो गया और पूरा विद्यालय साफ़। 10 बजे बीएसए साब आये ,गुणवत्ता से वे सन्तुष्ट न हो पाए, दोनों शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटने और एक महीने में गुणवत्ता सुधारने का आदेश दिए। गंदगी पर निलंबन से यह कार्यवाही छोटी थी। 

 लेखक
मनीराम मौर्य
उ0प्रा0वि0 हरिवंशपुर,
वि0क्षे0-पौली, जनपद-संत कबीर नगर

 

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