मूक चीख Pranjal SaxenaOctober 05, 2016मैया तोसे कैसे कहूँ, मैं अपने हृदय की पीड़ा। तूने क्यों है अब उठाया, मेरे अंग-भंग करने का बीड़ा।। सुन ले हे! मेरी मइया, तुम ही तो मेरी खिवैय...Read More
बढ़ चलो तुम भी होकर मगन Pranjal SaxenaSeptember 11, 2016मन में आशा की लेकर किरन। बढ़ चलो तुम भी होकर मगन।। राह में काँटें होंगे बहुत ही, साथ में न दिखता कोई भी। दिल में भर कर के ढेरों उमंग, बढ़...Read More