मन की आवाज
जिन्दगी को अपनी और भी खूबसूरत तुम बनाओ।
ये कला है तुममें इसे और ऐसे कुछ रंगो से सजाओ।।
ये प्यारी,उन्नतशील लम्बी हो, जतन अपनाओ।
जहां दे लाख ठोकर, मुकाम खुद बनाओ।।
असर अपना इस जहां मे, इस कदर करके जाओ।
कि चलता राही भी पूछे, हमे बस उनका पता तो बताओ।।
अनवरत तुम चलोगे तो, आसां सफर होगा।
कभी थोड़ॅअॅ कभी ज्यादा दुखद सुखद अनुभव भी होगा ।।
लिए मन मे अपने आकांक्षा भारी।
करते रहो हर पल नये संकल्प की तैयारी।।
रचनाकार
श्रीमती नैमिष शर्मा
सहायक अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेहरा
वि०ख० मथुरा
जिला- मथुरा
ये कला है तुममें इसे और ऐसे कुछ रंगो से सजाओ।।
ये प्यारी,उन्नतशील लम्बी हो, जतन अपनाओ।
जहां दे लाख ठोकर, मुकाम खुद बनाओ।।
असर अपना इस जहां मे, इस कदर करके जाओ।
कि चलता राही भी पूछे, हमे बस उनका पता तो बताओ।।
अनवरत तुम चलोगे तो, आसां सफर होगा।
कभी थोड़ॅअॅ कभी ज्यादा दुखद सुखद अनुभव भी होगा ।।
लिए मन मे अपने आकांक्षा भारी।
करते रहो हर पल नये संकल्प की तैयारी।।
रचनाकार
श्रीमती नैमिष शर्मा
सहायक अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेहरा
वि०ख० मथुरा
जिला- मथुरा
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