पतंग Pranjal SaxenaNovember 27, 2017 दूर गगन में दौड़ लगाती, कभी बादलों में छिप जाती। नीले काले पीले रंग, देखो देखो उड़ी पतंग। इधर गयी कभी उधर गयी, कभी डोर से उलझ गयी। ...Read More
बच्चों की प्यारी किलकारी Pranjal SaxenaNovember 02, 2017 बच्चों की प्यारी किलकारी गूंजे हर आंगन फुलवारी । सुबह सवेरे रोज नहाकर स्कूल की करते हैं तैयारी। राजू आया, राधा आई कोमल, बबिता सरिता...Read More
चन्दा का स्वेटर Pranjal SaxenaOctober 17, 2017 रूठे चन्दा प्यारे एक दिन ,माता से यह बोले बुन दो मुझको भी एक स्वेटर,लाकर ऊन के गोले। गर्मी चली गयी है अब तो सर्दी को है आना, आसमान...Read More
खजूरदानी - बाल कविता Pranjal SaxenaAugust 06, 2017 आओ बच्चों सुनो एक कहानी, न था राजा , न थी रानी। केवल थी इक बिल्ली सयानी, खानी पड़ी जिसे मुँह की खानी।। बिल्ली की थी एक आदत ...Read More
अब हम आ गए शहर Pranjal SaxenaMay 28, 2017 बेटा मेरा एक साल का , है मगर बड़ा वह कमाल का, आज सुबह जब आँख खुली तो, उसको बैठा पाया । निहार रहा था खिड़की से , पर सूरज नजर न आया । म...Read More