भारत माँ का लाल-चंद्रशेखर आजाद Pranjal SaxenaFebruary 27, 2017 तम की काली रात लीलने, जो बिजली सा कौंधा था। दम्भी अंग्रेजों को जिसने, मरते दम तक रौंदा था।। लेकिन वो भी समझ न पाया, घात लगाए था भेदी। क्...Read More
वो बेटा हैं ! मैं बेटी हूँ ! Pranjal SaxenaFebruary 25, 2017 "" वो बेटा हैं ! मैं बेटी हूँ ! "" लो सांझ हुई फिर से और उमड़ पड़ी वेदना भरी करुण..... बेटी की पुकार ! फिर से फिर...Read More
शब्द भी अपना वजूद खोने लगे है Pranjal SaxenaFebruary 25, 2017 शब्द भी अपना वजूद खोने लगे है गीत ओ गज़ल भी अब रोने लगे है। चेहरों पर थी कई परतें, पहली बारिश में ही धुलने लगे है। यकीं किसका करें ...Read More
हमीं गुमनाम होते हैं। Pranjal SaxenaFebruary 23, 2017 हया कमजोर पड़ती है, कि ऐसे काम होते हैं । वहीं पर नाम होता है, जहां बदनाम होते हैं ।। शराफत से खड़ा हो जाय , तो पूछे नहीं कोई । यहां पै...Read More
आओ मिलकर अलख जगाएँ!! Pranjal SaxenaFebruary 22, 2017 आओ मिलकर अलख जगाएँ, नवाचार विद्यालय में लाएँ, शिक्षण में गुणवत्ता लाकर, पाठ्यवस्तु को रुचिकर बनाएँ | आओ मिलकर अलख जगाएँ, नवाचार वि...Read More
टुकड़ा भर तुम.. Pranjal SaxenaFebruary 21, 2017 डली भर चाँद हो, चुटकी भर झील, और टुकड़ा भर तुम.. चलना कहीं लम्बे सफर पर, मेरी पीठ पे टिका के खुद को; चलना मेरा कंधा पकड़ कर, ...Read More
मेरे अल्पहीन सपने Pranjal SaxenaFebruary 18, 2017 "मेरे अल्पहीन सपने,,... मत छीनो मुझसे मेरे अल्पहीन सपने !!! लेने दो इन्हे जरा,सृष्टि का आधार उमड़ने दो...Read More
बटन उसका दबाना है...... Pranjal SaxenaFebruary 13, 2017 कोई दारू से ललचाए कोई नोटों से फुसलाए। इलेक्शन पास आता है तो हर नेता बदल जाए। मगर हम को नहीं आना किसी के लोभ लालच में। बटन उसका दबाना...Read More
बसन्त का स्वागत गान Pranjal SaxenaFebruary 04, 2017 ऋतुराज ने सम्पू्र्ण वातावरण में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कर दी है.न केवल भौतिक वातावरण वल्कि मानवीय पहलू भी इससे अछूते नही हैं.इनकी अल्हड़त...Read More
ये घर भारत का है । Pranjal SaxenaFebruary 01, 2017 ये घर भारत का है । दुश्मन का शीश झुकाएंगे या अपना शीश कटा लेंगे ये सर भारत का है... ये घर भारत का है। गंगा का निर्मल पानी है। कबि...Read More