टुकड़ा भर तुम..
डली भर चाँद हो, चुटकी भर झील,
और टुकड़ा भर तुम..
चलना कहीं लम्बे सफर पर,
मेरी पीठ पे टिका के खुद को;
चलना मेरा कंधा पकड़ कर,
खुद से बस कस लेना मुझको;
रात भर राह हो, अंजुली भर स्वप्न,
और टुकड़ा भर तुम..
रुकना कहीं स्मृति पटल पर,
यूँ कस लेना मुझ से खुद को;
रुकना मेरी बाँह पकड़ कर,
खुद से बस भर देना मुझको;
उम्र भर प्रेम हो, अधर भर भाव,
और.. टुकड़ा भर तुम
यशोदेव राय देবয়शो
(स0अ0 पूर्व माध्यमिक विद्यालय नाउरदेउर)कौड़ीराम, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
बढ़िया
जवाब देंहटाएंबढ़िया
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