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हमीं गुमनाम होते हैं।

हया कमजोर पड़ती है, कि ऐसे काम होते हैं ।
वहीं पर नाम होता है, जहां बदनाम होते हैं ।।

शराफत से खड़ा हो जाय , तो पूछे नहीं कोई ।
यहां पैसा गिरा पाए , उसी के काम होते हैं ।।

कली को रौंदकर भौंरे, गुनाहेगार ना होते ।
गुजर जाए अगर तित्ली, गले इल्जाम होते हैं ।।

लगाकर पेड़ अदना सा हर तरफ दम्भ भरते हैं।
सजाकर बाग- बगीचे , हमीं गुमनाम होते हैं ।।

करम को त्याग कर वीपू, जनम पर नाज करता है ।
पर अब कहां अयोध्या की, धरा पर राम होते हैं।।

रचयितादुर्गेश्वर राय
सहायक अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बलुआ
विकासखंड- उरुवा
जनपद- गोरखपुर
मोबाइल नंबर - 84 2324 5550
                      94 5404 6203
ईमेल -  durgeshwarrai@gmail.com

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