परधानी राम कृष्ण मिश्र (रिक्की)April 11, 2021परधानी प्रत्येक पाँच वर्षों के अंतराल पर हमें, आपको, हम सबको मिलता है एक मौका कि हम चुनें एक कर्णधार जो उत्तरोत्तर प्रगति की ओर ले जाए गाँव...Read More
रिश्ते प्रवीण त्रिवेदीJanuary 11, 2018रिश्ते पहचान अपनी हैं खोने लगे, बाप, बेटों पर अब बोझ होने लगे। ख़ुद को नज़दीक सबसे बताते थे जो, आज उतने ही वो दूर होने लगे।। क्या करें जब...Read More
सत्य Pranjal SaxenaNovember 17, 2017 एक दिन अपनी तन्हाई के साथ हो गयी एक पत्ते से मुलाक़ात जो कि अपनी डाल से गया था बिछड़, या कि उसका संसार ही गया था उजड़ पड़ा था भूमि...Read More
बापू तुमको नमन। Pranjal SaxenaOctober 02, 2017 हे राष्ट्रपिता! हे परम पूज्य! बापू तुमको शत बार नमन। हे सत्य अहिंसा के द्योतक! बापू तुम को शत बार नमन।। तुमने इस भू पर जन्म लिया हम ल...Read More
क्या लिखूँ Pranjal SaxenaSeptember 03, 2017 पावस की प्रथम फुहार लिखूँ, या नदिया की वो धार लिखूँ, कुछ लिखने को जी करता है, तू बता मुझे क्या यार लिखूँ? वो बचपन की मीठी यादें हँ...Read More
ख़्वाब तुम रखो Pranjal SaxenaAugust 18, 2017 आसमाँ छूने का,भले ख़्वाब तुम रखो, मगर ज़मीं से भी नाता,लाजवाब तुम रखो। तुम्हारी कोशिशें भी,एक दिन रंग लायेंगी, बस अपने दिल में हौंसले...Read More