तपता UnknownFebruary 05, 2015 कवि जैसी कल्पनाओं से बाहर निकल. यूँ धूप से बच के, अलक की बूँद सा. कुछ तप्त-मन में नमी से रीझा हुआ मन. रे बावरे, तू क्यों उदास है.? हर ...Read More