बेटियाँ Pranjal SaxenaOctober 12, 2017 बेटियों को प्यार व दुलार आप दीजिये तो, प्रेम रूपी बीज नित बोती हैं ये बेटियाँ। घर हो य ससुराल सबको सँजोने हेतु, जीवन के दु:ख को सहती है...Read More
नव नेह युवा निर्दोष 'कान्तेय'March 14, 2017प्राणप्रिये परदेश गए तुम खोजत चित्त तुम्हें भटके। श्वांस चले धड़के जियरा पर प्राण वहीं तुमपे अटके। कौन निगाह धरे हमपे सब भूल गई लटके झटके। ...Read More
आई है होली निर्दोष 'कान्तेय'March 13, 2017 मन मद है छाया, फागुन आया, ये रुत है मस्तानी। आई है होली, हँसी ठिठोली, जागे प्रीत पुरानी। यह मेरी मर्जी, सुन लो अरजी, छेड़ो प्रेम कहानी।...Read More