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दर्द

April 27, 2015
सिहर - सहम उठता ये ज़माना हर आँख रोई जिंदगी ने जब- जब भी अर्थी मौत की ढोई कहीं टूटे सपनें किसी के छूट गये अपने पाया इस दर्द को जिसने कब...Read More

लौट आना प्रिये

April 20, 2015
उगते हुए सूरज हो तुम अभी, बहुत होगा वंदन - अभिनंदन पर दर्प से दीप्ति तुम्हारी प्रसन्नता जब चरम पर होगी, क्या देख सकोगे तुम किसी म...Read More