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बेटियों का घर

बेटियों का घर कहाँ 
ह्रदय के अंतर्मन मे ये प्रश्नकौधता है अक्सर
हम बेटियों का घर कहाँ है घर कहाँ
बेटी जब पैदा हुई 
माँ बाप की आँखे खिली
नन्हाँ  कदम धीरे -धीरे 
आगन  में  पड़ा आगन  खिली
फिर भी माँ बाप का बेटियों के प्रति वो प्यार  कहाँ है 
वो लगाव कहाँ है 
हम बेटियों का घर कहाँ है 
समय चक्र  बढ़ता गया
जो थी छोटी अब बड़ी हुई 
माँ ने सीखाया खाना बनाना
सीख लो  बेटी अब तु बड़ी हुई 
फिर वही से दब गयी सारी इच्छाएं
अब वो शौक  कहाँ है 
अब वो हर्ष कहाँ है 
हम बेटियों का घर कहाँ है 
शादी कर ससुराल में आयी
इस घर को अपना बनाई
सास ससुर पति जी को ही
घर संसार अपना बताई
फिर भी सब क्यो बोले 
ये तेरा घर नही है 
ये तेरा आशिया नही है 
हम बेटियों का घर कहाँ है 
ह्रदय के अंतर्मन मे ये प्रश्न कौधता है अक्सर
हम बेटियों का घर कहाँ है 
घर कहाँ है 
    
✍️
 नीलम दुबे
कम्पोजिट विद्यालय रायगंज 
खोराबार 
गोरखपुर

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