Breaking News

ग़ज़ल: रूढ़ियों की केंचुल उतार फेंक

सितंबर 10, 2024
ग़ज़ल: रूढ़ियों की केंचुल उतार फेंक रूढ़ियों की केंचुल उतार फेंक,   इक नई सुबह की तू पुकार फेंक।   झूठ के नक़ाबों को आज तोड़ दे,   ख़ुद से म...Read More

पश्चाताप

सितंबर 05, 2024
पश्चाताप ! पेड़ की वो मोटी जड़, निर्निमेष निहारती रहती है  फलों को, आकर्षक रंग, सुंदर स्वरूप, मिठास बांटने की कला, हर्षित होती है, अपने पोषण...Read More