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'विद्यालय युग्मन'- प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा !

'विद्यालय युग्मन'- प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा !


कैसा देश कहाँ है शिक्षा,
शिक्षा के रखवाले कैसे।
जो विद्यालय खुले हुए हैं,
उन पर अब ये ताले कैसे।।१।।

जिसने नियम बनाया होगा,
गाँव-गाँव विद्यालय होगा।
सारे बच्चे पढ़ जायेंगे,
देश को आगे कर जायेंगे।।२।।

धन से निर्धन हैं जो बच्चे,
बोलो कैसे पढ़ पाएंगे।
दूर करोगे शिक्षालय तो,
कैसे ये शिक्षा पाएंगे।।३।।

भारत तो गाँवों में बसता,
गाँवों का सम्मान करो तुम।
जो विद्यालय खुले हुए हैं,
उनका मत अपमान करो तुम।।४।।

विकसित भारत के बनने में,
विद्यालय ही रोड़ा है क्या ?
शिक्षा तो मौलिक अधिकार है,
तुमको लगता फोड़ा है क्या ?।।५।।

हर आलय में शौचालय हो,
ध्येय वाक्य लिखवाते हो तुम।
ग्रामीण शिक्षा के जो मंदिर,
ताला भी लगवाते हो तुम।।६।।

निजी विद्यालय निष्ठा से,
मंजूरी दिलवाते जाते।
मानक पर जो खरे नहीं हैं,
अनुमोदन करवाते जाते।।७।।

नूतन खोल नही सकते तो,
पुरातन को खोते क्यों हो।
जिस क्यारी में फूल लगे हों,
उनमें कांटा बोते क्यों हो।।८।।

शिक्षा से अब तुम मत खेलो,
शिक्षा के पतवार बनो तुम।
कुछ भी शर्म बची हो तुम में,
तो अच्छी सरकार बनो तुम।।९।।

विलय करोगे विद्यालय तो,
लोग तम्हे भी लय कर देंगे।
समय अभी है सोच समझ लो,
वरना महाप्रलय कर देंगे।।१०।।

✍️
रमेश तिवारी 
(सहायक अध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय हरमंदिर खुर्द,
क्षेत्र -फरेन्दा
जिला - महराजगंज (उत्तर प्रदेश)

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