Breaking News

रक्तदान का संकल्प

रक्तदान का संकल्प

ह्रदय से धमनियों द्वारा,जीवित शरीर में निरंतर होता शुद्ध रक्त प्रवाह।
ईश्वर कृपा से मनुष्य जीवन मिला,सार्थक कर रक्तदान से मत संकुचा।

कौन जाने कब,कहां,कैसे, किसपर आ जाए अकस्मात कोई भीषण विपत्ति।
स्वयं पर जब बीतेगी क्या तभी तुझे अनुभूत होगी रक्ताधान की स्थिति?

दुनियावाले!रिश्तेदारों,शुभचिंतकों,मित्रों को खुशियों में शामिल करने,न्यौता देकर बुलाए।
कड़वी सच्चाई है रक्तदान,जिसमें अक्सर पराए ही साथ देने आगे आए।

लाल रक्त कोशिकाओं के एंटीजन ने A,B,AB,O रक्तवर्ग बनाए।
Rh प्रोटीन के कारण पॉजिटिव और नेगेटिव कुल मिलाकर बनी आठ शाखाएं।

AB पॉजिटिव सर्वग्राही, O नेगेटिव रक्तधारक सर्वदाता की श्रेणी में हैं आते।
42 दिनों तक रक्त, रेफ्रिजरेशन द्वारा रक्त बैंकों में सुरक्षित रखे जाते।

संक्रामक एवं असाध्य रोग महावारी, गर्भावस्था, प्रसूतकाल में रक्तदान सदा है निषेध।
18 से 65 वर्ष के स्वस्थ जीवनकाल में"रक्तदान"में कर प्रवेश।

 रक्तदान से पूर्व होती है,मानव शरीर की सम्पूर्ण निःशुल्क चिकित्सकीय जांच। 
स्वस्थ महिलाओं एवं पुरुषों को रक्तदान से नहीं आती है,कोई आंच।

बड़ी-बड़ी कठिनाइयों को झेलने वाली नारियों!सुई की चुभन से ना डरो।
जन्मदाता हो तुम,अपने वास्तविक रूप एवं अपनी  क्षमताओं की पहचान करो।

थैलीसीमिया,कैंसर,असाध्य रोगग्रस्त,आकस्मिक परिस्थितियों में रक्त की महती है, आवश्यकता।
24घंटे में हमारा शरीर,पुनः नवीन रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता।

चार माह पश्चात् पुनः रक्तदान का पात्र हो सकता है,हर रक्तदानी।
नियमित रहती रक्त में लौह की मात्रा,शरीर को नहीं कोई हानि।

विभिन्न रक्त बैंकों में कैसे होगा संचय रक्त का?तनिक विचार करो।
रक्तदान से बचकर,आपदा के समय तत्काल प्राप्ति की आशा ना धरो।

निस्वार्थ,सेवाभाव से मानव सेवा के इस पावन कार्य से सब जुड़ो।
भ्रांतियों को मन-मस्तिष्क से बाहर निकाल कर जीवन रक्षा का संकल्प करो।

लौह-जनित यकृत रोग,उच्च रक्तचाप,हृदयाघात,असाध्य रोगों की संभावना को कम करो।
आजीवन स्वस्थ शरीर रखना है स्वयं का तो रक्तदान करो रक्तदान करो।

✍️
शिखा पाण्डेय (सहायक अध्यापिका)
प्राथमिक विद्यालय-पिपरी
विकास खंड-बेलघाट
जनपद-गोरखपुर

कोई टिप्पणी नहीं