शिक्षा का अधिकार कैसे बचाऊं ?
शिक्षा का अधिकार कैसे बचाऊं ?
बच्चों के नयनों के सपने कब साकार हो भाई ।
स्कूल बंद हो रहे सरकारी खत्म हो रही पढ़ाई।।
गरीब की सोच है ऐसी"कुछ धन घर में आए।"
आधे समय घर ही पर बैठे बच्चे बकरी भैंस चराए।।
शिक्षक है परेशान,स्कूल में किसी तरह उन्हें बुलाऊं?
बाल्यकाल में कुछ तो सीखे अभिभावक को बतलाऊं।।
खेतीबारी और मजदूरी में भी बच्चा उनका हाथ बंटाता।
नाना प्रकार के कारणों से स्कूल फिर नहीं आता।
अभिभावक से मिलकर शिक्षक अपनी बात बताता।।
का खईहें जब घर में रोटी नहीं खेत से आई?
"आठ दिन के काम है केवल कितना होई पढ़ाई?"
ऐसा उत्तर सुनकर फिर शिक्षक मुंह लटकाए आता।
अपनी कक्षा में जाकर फिर शिक्षक धर्म निभाता।।
मिशन प्रेरणा,यू-डायस फीडिंग मोबाइल में ही करता।।
इसका दंड जनमानस में कर्महीन हो भरता।।
डी.बी.टी.कर,धन दिलाता,मानव संपदा चलाता।
टीचर होकर बने क्लर्क,एम.डी.एम.भी बनवाता।।
कभी फोटो अपलोड करे,कभी किताब बंटवाए।
खुद को करे बदनाम,समाज में कैसे धर्म बचाए।।
कहे समाज नहीं होती पढ़ाई क्यों जाऊं स्कूल।
आंख का देखा भी गलत है ये समाज की भूल।।
दे मान्यता प्राइवेट में ढेरों स्कूल खुलवाए।
नाम कटाकर सरकारी से बच्चा भागे जाए।।
कोई नहीं है देखने वाला,खूब हैं लूट मचाए।
फिर भी ज्ञान ना बढ़ पाता,धंधा सभी चलाए।।
बच्चों के नयनों के सपने कब साकार हो भाई।
स्कूल बंद हो रहे सरकारी खत्म हो रही पढ़ाई।।
जो सरकारीशाला बंद हो कैसे गरीब पढ़ेगा?
लाल बहादुर और कलाम कैसे फिर बनेगा??
भले धन ना हो किन्तु शाला में कुछ बच्चे अच्छे हैं।
ऊंचे सपने भी उनके हैं दिल के भी वे सच्चे हैं।।
उनमें से कोई शुक्ला बनकर अंतरिक्ष घूम आयेगा।
भारत माँ का शान बढ़ेगा,देश गुरु कहलाएगा।।
विनोद कुमार वर्मा(स०अ०)
पूर्व-माध्यमिक विद्यालय बरसैनी, पिपराइच,
गोरखपुर,उत्तर प्रदेश।
सच में बेसिक शिक्षा की यही दशा है जिससे बच्चे प्रभावित होते हैं और शिक्षक बदनाम होता है और सरकार की कार्ययोजनाओं के फल स्वरुप शिक्षक कामचोर बना दिया जा रहा है
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