योग
योग
योग शरीर का शासन है,
अनुशासन से यह रोग भगावे।
चित्त के रोज निरोध करे,
अरु इन्द्रिय संयम पाठ पढ़ावे।।१।।
सिंधु के काल से भारत भाल को,
विश्व पटल पर श्रेष्ठ बनावे।
आर्ष के ज्ञान नवीन विधान से,
घर- घर में यह आदर पावे।।२।।
योग है ज्ञान के खान महान,
जो भारत के पहचान बतावे,
सिंधु के बिंदु से लेकर आज भी,
भारत का यशगान सुनावे।।३।।
जींद अवेस्ता हो वेद पुराण,
कुरान सभी मिल योग ही गावें,
योग निरोग का कारण है,
जगतारण है यह मोक्ष बतावे।।४।।
आदि हैं योगी अनादि है योग,
महादेव योग के तात कहावें।
कान्ति सरोवर है जो हिमालय,
योग के पाठ वहीं से पढ़ावें।।५।।
ऋषि महर्षि राजर्षि सबै मिली,
शिव को आदि गुरु गोहरावें।
शिव ही सत्य सनातन हैं,
जो पुरातन काल से योग सिखावें।।६।।
योग के भेद अनेक मिलें पर,
योग के आठ प्रकार बतावें।
यम नियम जो सामाजिक बंधन,
नैतिकता के पाठ पढ़ावे।।७।।
हैं प्राणायाम के नाम अनेक,
कुंभक पूरक रेच कहावें।
प्रत्याहार आहार विहार में,
सयंम का यह मर्म बतावें।।८।।
धारणा चित्त निरोध की है गति,
बाहर के सब भोग मिटावे।
ध्यान से इष्ट विशिष्ट मिलें,
धरें ध्यान धरा पर धन्य कहावें।।९।।
है वो समाधि जो ध्यान की उच्च,
अवस्था व्यवस्था का बोध करावे।
योग क्रिया का विशेष प्रयोग है,
योग क्रिया भगवान को भावे।।१०।।
✍️
रमेश तिवारी
(सहायक अध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय हरमंदिर खुर्द,
क्षेत्र -फरेन्दा
जिला - महराजगंज (उत्तर प्रदेश)
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