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गांव का स्कूल

गांव का स्कूल 

 गांव की पगडंडी से होकर जाते हम स्कूल ,
बच्चों को आवाज लगाते जाते हम स्कूल ।
देख के हमको ही बच्चे आते हैं स्कूल
न देखें तो घर में रहते न आते स्कूल।
अब जब दूर घरों से उनके होंगे ये स्कूल ,
तब ये भोले बच्चे कैसे आयेंगे स्कूल ?
घर के निकट की शाला ये मंदिर हैं स्कूल
निर्धन वर्ग के बच्चों से छूटेंगे स्कूल ।
कितने यत्न किए जाते कि आएं ये स्कूल
 डगर कठिन तब कैसे बच्चे आयेंगे स्कूल।
युग्मन से छूटेंगे प्यारे बच्चों के स्कूल 
मां की गोदी सा है इनका प्यारा ये स्कूल।
                                                      
                                                         
✍️ प्रसून मिश्रा, बाराबंकी

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