बात कलम की
बात कलम की
हर इक कलम से खुद को बयाँ नहीं किया जाता,
हमारी रूह में जो है, उसे लिखा नहीं जाता।
बातों से नहीं होती असल पहचान हमारी,
कर्म ही वो दर्पण है, जो छुपा नहीं जाता।
जो लोग बस लफ़्ज़ों में अपनी दुनिया रचते हैं,
वो ज़िंदगी का मर्म कभी भी पा नहीं जाता।
शोहरत से नहीं मिलती सच्ची पहचान कोई,
जो दिल से हो फ़रिश्ता, वो झुका नहीं जाता।
हैं हम वही जो कर्मों से रोशनी फैलाते हैं,
वरना नामों से कोई याद किया नहीं जाता।
प्रवीण ने ये कह दिया, बात कलम की है नहीं,
जो दिल में उतर जाए, वो मिटा नहीं जाता।
✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए कविता उनका नया हथियार बना हुआ है।
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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