पितृ पक्ष
पितृ पक्ष
तर्पण स्वीकारो हे पुरखों जो कुछ है वह अर्पण है।
मेरा जीवन सदा आपके पद चिन्हों का दर्पण है।।
आता पूर्वजों का जब तर्पण
उनके पसंदीदा चीजों को करे अर्पण
गरीबों को शुद्ध भोजन करवाए
दान दक्षिणा देकर उद्धार कराए
भूल चूक सब वहीं से क्षमा करें
सुख संपत्ति से घर हमारा भरे
नेह करे कष्टो को सब हमारे हरे
बट वृक्ष सी होती उनकी छाया
इन्हीं पितरों से सब कुछ पाया
है हम सबके सदा ही रक्षक
तर्पण कर उनका आशीष पाएं
आप हमारे हृदय में हम आपकी संतान
आपसे ही जुड़ी है हमारी पहचान
हमारे पूर्वज हमेशा हमारे दिलो में जीवित रहेगे
हमारे प्रार्थनाओं में हमेशा हमारे साथ रहेंगे
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नीलम दुबे (लेखिका)
कम्पोजिट विद्यालय रायगंज
खोराबार गोरखपुर
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