कौन है राजा
कौन है राजा
सब्जियों की लगी चौपाल।
सबने सुनाया अपना हाल।
गोभी,भिंडी,टिंडा,परवल।
लौकी,घेवड़ा,बैंगन,कटहल।
सबने कहा "आओ चुने एक राजा।"
जो हो सबसे बढ़िया सबसे ताज़ा।
ये सुनते ही सामने आलू आया।
बच्चे बूढ़े जवानों के मन भाया।
बोला सबसे आसान है मुझको पाना।
सबके साथ मिलाकर आसानी से पकाना।
मैं अकेला काफी अगर ना हो संगी।
भुनो,काटो,तलो,ना रहे कोई तंगी।
इतने में पीछे से लुढ़कते-लुढ़कते कद्दू आ धमका।
कद्दू बोला मैं हूं राजा सबके मन का।
भिंडी हंसकर बोली"ओ गोलमटोल पीले-पीले कद्दू राजा।
पहले टिककर तो बैठ अपने गुण बता जा।"
गया बैठने कद्दू फिर लुढ़का,खूब हसीं तरोई।
बोला कद्दू मैं संवारता हूं,भंडारा और रसोई।
फाइबर से भरपूर हूं मैं,शुगर कोलेस्ट्रॉल घटाता।
आलू बढ़ाए शुगर मोटापा,जल्दी पच नहीं पाता।
आसानी से उग जाऊं लताओं में पाया जाऊं।
मुझमें समाए गुण इसलिए राष्ट्रीय सब्जी मैं कहलाऊं।
आलू बोला मेरी तरह टिक नहीं पाते हो।
वाह साहब!सब्जियों का राजा कहलाना चाहते हो।
गुस्से में उठा कद्दू अचानक गिरा धड़ाम से।
मस्ती में बैठी सब्जियां कांप गई आवाज़ से।
बोली हमने की है बस मस्ती।
हम सबकी हस्ती नहीं है सस्ती।
राजा होकर भी है क्या करना?
एक दिन टूटना,बिकना और पकना।
✍️
शिखा पाण्डेय
शिक्षिका, लेखिका
जनपद-गोरखपुर
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