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जाँच सुविधा निवेश खाता


जांच सुबिधा निवेश खाता

नयी भर्ती का जोश मेरे सर पर चढ़ कर बोल रहा था ।अभी अभी मैं नया मास्टर बना था ।शिक्षा को सुधारने की कसम खून में वक़्त बे वक़्त उबाल लाती और हम जुट जाते कुछ नया करने में ।नौकरी के 1 साल में दुनिया भर की जलालत झेलने के  बाद सबसे पहले हमने लिस्ट बनायीं उन अध्यापकों की जिनके कर्मो के कारण हमारी इज़्ज़त का फालूदा बना जा रहा था और बस टेम्पो में हमें निकम्मा नाकारा और मुफ़्त का वेतन लेने के ताने मारे जाते थे लिस्ट लेकर हम पहुँचे अपने हल्का इंचार्ज अर्थात एन पी आर सी महोदय के पास ।अकेले का इंतज़ार कर और मौका पाकर हमने उन्हें अपनी खुफिया लिस्ट थमा थी ,और विजयी मुस्कान के साथ उनके जबाब का इंतज़ार करने लगे ।कुछ देर बाद वो गंभीरता से बोले "नए ज्वाइन हुए हो, कुछ पढ़ाते भी हो या यही गणित लगाते रहते हो ,नए हो तो कुछ मेहनत करो स्कूल में ,जिनकी सूची दी है तुमने ये सब तो डिफाल्टर है इनके बारे में सोचना छोड़कर अपने काम पर ध्यान दो ।
मैं परेशांन हो गया इतनी महत्वपूर्ण सूचना दी और ये महोदय उल्टा हमें ही प्रबचन दे रहे हैं । झल्लाकर मैंने अपना कागज उनके हाथ से ले लिया और कहा कि "कल मैं इसको खंड शिक्षा अधिकारी को दूँगा और तुम्हारी भी शिकायत करूँगा "।एन पी आर सी अधिकारी महोदय मुस्कराये और कागज पुनः लेकर बोले कि तुम चिंता मत करो इन सबका वेतन कटेगा और ये ससपेंड होंगे ।तुम अपने स्कूल जाओ ।
  घटना के पंद्रह रोज बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुयी तो एक दिन मैं अपने सी ओ साहब अर्थात खंड शिक्षा अधिकारी महोदय को शिकायत दर्ज़ कराने बी आर सी जा धमका ।शिकायत गोपनीय थी सो अकेले मिलना जरुरी था पर उनसे अकेले मिलना बड़ा कठिन था ।12 से चार बजे तक इंतज़ार के बाद भी उन्हें अकेले नहीं पा सका और जिनकी शिकायत करनी थी उनमें से एक मास्टर अधिकारी साहब के कमरे में बैठे चाय पी रहे थे ।एक पल के लिए तो हमारे अंदर डर से सिहरन सी हुयी पर अगले ही पल हमने अपने आदर्श चद्रशेखर आजाद और भगत सिंह को याद कर अपना डर दूर कर खोई ताकत जुटा ली । हमें भी जूनून था कुछ तूफानी करने का सो डटे रहे मैदान में और 6 बजे तक इंतज़ार कर  उन्हें अकेले पाकर अपना शिकायती पत्र दे दिया ।पत्र पढ़कर उनके माथे पर कुछ देर के लिए सलवटें दिखी  पर फिर मुस्करा कर बोले
"कौन से स्कूल में हो"
हमने अपना परिचय प्रदान किया तो अगला प्रश्न हुआ
"लोकल के हो"
हमने कहा" हाँ"
"किसी शिक्षक संघ से जुड़ गए हो क्या"
इस प्रश्न का मतलब मुझे समझ में नहीं आया
असमंजस में देखकर बोले तुम्हारी शिकायत पर ये ससपेंड हो जायेंगे और कल के दिन तुम्हें ही परेशान करेंगे सोच लो एक बार
हमने कहा "आप का आशीर्वाद मिलेगा तो क्या परेशानी होगी मुझे, आप से बढ़कर थोड़े ही है"
वो मुस्कराये और बोले जिनके नाम लिखे है इनको जानते हो
मैंने कहा "अध्यापक हैं स्कूल भी पता है ,और क्या जानना मुझे ,इन जैसे लोगों की लापरवाही के कारण ही हम जैसे नए लोग भी बदनाम होते है, शिक्षा को सुधारने के लिए इन पर कार्यवाही आवश्यक है ।"
खैर मेरे अनुरोध पर उन्होंने मेरा शिकायती पत्र रख लिया और कार्यवाही का भरोसा  दिलाया पर रात को सोते समय उनके प्रश्न मेरे दिमाग में गूंजने लगे और मैं भी सोचने लगा कि आखिर उन्होंने मुझे चेतावनी क्यों दी । उधेड़बुन में बमुश्किल रात 12 बजे सो पाया और सुबह समय से स्कूल पहुँच कर अच्छी खबर का इंतज़ार करने लगा ।तब तक हमारे संकुल प्रभारी अर्थात हमारे हल्का इंचार्ज स्कूल आ धमके ।आज उनका मूड कुछ अच्छा नहीं लग रहा था आते ही उन्होंने शौचालय ,मिड डे मील,साफ सफाई ,रंगाई पुताई,कक्षा शिक्षण ,पाठ्यक्रम ,गुणवत्ता की जांच कर आख्या तैयार की ।हमारे हेड मास्टर साहब बौराने से उनके पीछे पीछे घूम रहे थे ।जब निरीक्षण पूरा हो गया तो हमें कोने में ले जाकर बोले "तुम माने नहीं ,कर आये शिकायत साहब से "
मैंने कहा" तो इसमें गलत क्या है " वो वोले "वेवजह की समस्या पैदा कर रहे हो ,अब तुम थोड़े साबधान रहना ,अगर तुम्हे एक दो दिन स्कूल ना आना हुआ करे  तो मत आया करो ,मैं तुम्हारे हेड से कह दूंगा वो तुम्हे छुट्टी दे दिया करेंगे।वेवजह के काम ना करो।"और जाकर हमारे हेड से बोले "स्कूल सही से चलाया करो बहुत मटरगस्ती हो रही है कई अनियमितताएं है " हेड साहब लगभग घिघया से गए और बोले "क्या हो गया साहब " साहब बिना जबाब दिए ही चले गए।

15 दिन बीत जाने के बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुयी तो मेरा जासूस दिमाग और समाज सुधारक जूनून फिर से जाग गया और मैंने अपनी शिकायत इलाके के एस एस पी अर्थात अपने बी एस ए साहब को प्राप्त करा दी ।अबकी बार प्रतिक्रिया कुछ जल्दी हुयी और मैंने जिनकी शिकायत की थी वो ही हमारे स्कूल आ गए और हमें और हमारे हेड साहब को धमका गए ।हम भी कहाँ कम थे  इसकी शिकायत भी मैंने बी एस ए साहब को कर दी।
मामले की गंभीरता और मेरा अड़ियल रवैया देख बी एस ए साहब ने जाँच का आदेश कर दिया और हमारे खंड शिक्षा अधिकारी को जांच सौप दी ।खंड शिक्षा अधिकारी ने स्वयं जांच ना कर अपनी   जांच  के लिए संकुल प्रभारी को अधिकार दे दिए और प्रभारी ने जांच कर अपनी  जांच आख्या कुछ इस प्रकार लगायी ।
जिन अध्यापको के खिलाफ लापरवाही के आरोप लगाये गए हैं ,वो अपने विद्यालय में नियमित समय से उपस्थित होकर शिक्षण कर रहे है। विद्यालय में जांच करने पर पाया गया कि इनके विरुद्ध लगाये गए आरोप निराधार और काल्पनिक है ।शिकायत करने बाले अध्यापक की इनसे व्यक्तिगत द्वेष है। शिकायतकर्ता स्वयं अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं है ,और विद्यालय में समय से उपस्थित नहीं होता है ,और विद्यालय समय में एन पी आर सी और बी आर सी के चक्कर लगाता रहता है ।इनके खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा की जाती है
खंड शिक्षा अधिकारी  साहब की संस्तुति पर मुझे निलंबित कर दिया गया निलंबन के फलस्वरूप मैं बिलकुल अकेला पड़ गया । हेड मास्टर साहब ने मुझसे बोलना छोड़ दिया । मेरे निलंवन की खबर अख़बार में छपने के कारण मोहल्ले के लोग हमें शक भरी निगाह से देखने लगे और घर के लोग भी खफा रहने लगे।टेम्पो और बस पर मेरी चर्चाएं होने लगीं।
कुछ दिन बाद बी एस ए दफ्तर के एक बाबू ने मुझसे संपर्क किया और मिलने को कहा ।जब मैं उनसे मिलने गया तो बड़े प्यार से बोले "तुम्हारे साथ नाइंसाफी हुयी है और तुम्हें बिना गलती के निलंबित कर दिया गया है पर तुमने भी गलत लोगो की शिकायत कर दी थी ।जिनकी शिकायत तुमने की है उनमे से एक विधायक जी का रिश्तेदार था  ,एक आपके ब्लाक के शिक्षक नेता है जो साहब की दलाली कर लिया करते हैं और वाकी तीन लोग जांच सुबिधा शुल्क देते है हर महीने।मैंने उनकी तरफ प्रश्न वाचक निगाह से  देखा तो बोले "तुम अभी नए हो ,नहीं समझोगे, आपके डिप्टी साहब को ले जाने बाला भी तो अध्यापक ही है बो क्या स्कूल जाएगा? । ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो विभाग में अधिकारियों के अप्रत्यक्ष सहयोगी है और तुम उनकी ही शिकायत कर कार्यवाही करवाने की कोशिश  कर रहे हो ।अगर तुम भी जांच सुबिधा शुल्क दे दो तो इसी महीने बहाल हो जाओगे और अगर जांच सुबिधा निवेश खाता खुलवा दो तो भविष्य में आराम से रहोगे ।मैंने उनसे पूछा कि ये क्या होता है तो बोले "कि भविष्य में किसी भी जांच से बचने की जुगाड़ है"
मैंने कहा "आपसे से ही क्यों?"
तो बाबू जी मुस्करा बोले "साहब के साथ निरीक्षण पर मैं ही जाता हूँ ।कहाँ जाना है केवल मुझे पता रहता है ,जाँच के बाद आख्या मैं ही बनाता हूँ और इस आख्या पर निलंबन और बहाली का पत्र भी मैं ही बनाता हूँ ।बी एस ए साहब तो केवल सिग्नेचर करते है।जो कभी स्कूल नहीं जाता वो जांच के दिन समय से स्कूल में उपस्थित मिलता है उसका कारण भी मैं ही हूँ ।बी एस ए साहब के फलने फूलने का एक मात्र कारण भी मैं ही हूँ।पदोन्नति और स्थानांतरण में मन चाहे स्कूल को दिलवाने बाला भी मैं ही हूँ।जनपद में मस्ती मार रहे 5 प्रतिशत अध्यापकों का तारणहार भी मैं ही हूँ ।और शिक्षक नेताओं के गुरुर और पहुँच के पीछे भी मैं ही हूँ।आज तक कोई ऐसे साहब नहीं आये जो मेरे इशारे पर ना चले हो ।
  उनके इस कथन से मुझे ऐसे लगा कि साक्षात् भगवान श्री कृष्ण का अवतार मेरे सम्मुख हो और मुझे शिक्षा सार बता रहे हों ।मैं उनके चरणों में नत मस्तक हो गया  मैं उनकी बात की गहराई अच्छी तरह समझ गया था इसलिए तुरंत हामी भर दी और एक महीने में सवेतन बहाल हो गया ।
           इस घटना के बाद मेरा सुधार अभियान का बुखार उतर चूका था अब मेरा एक मात्र लक्ष्य अपनी नौकरी की रक्षा था ।मैंने भी अब जांच सुबिधा शुल्क की आर डी खुलवा ली थी इसलिए  अब मैं भी एक अच्छा अध्यापक बन गया था । मुझसे अब विभाग और विद्यालय में किसी को कोई शिकायत नहीं थी ।जब मन होता तब स्कूल आता और जब मन होता तो चला जाता ।साथ ही अधिकारी वर्ग में मेरे व्यक्तिगत सम्बन्ध भी काफी अच्छे हो गए थे ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. गुरुजनों कुछ भी नया करने के प्रयास में ये खाता खुलवाना पड़ेगा क्या??? मार्मिक घटना है आपकी गुरु जी

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  2. बेसिक शिक्षा का सही चित्रण ।

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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