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यज्ञ


यज्ञ

तन,मन,पर्यावरण का भूषण यज्ञ

यज्ञ प्राचीनतम सुन्दर,श्रेष्ठतम् विज्ञान है।
यज्ञ पर अद्यतन हो रहे अब अनुसंधान हैं।।

यज्ञ से सुन्दर सुगंधित हो जाता वातावरन, 
यज्ञ से शुभ हो जाता सब प्राणियों का आचरन ।
यज्ञ से पुष्ट हो जाते फल-फूल-जल औ वन सघन, 
यज्ञ से निर्मल हो जाता प्राणियों का तन और मन।।

घी-सामग्री-समिधा से फार्मेल्डिहाइड का गठन होता ,
ये गठन गहनतम छिपे रोगाणुओं का शमन् करता।
त्रेताकाल तक संवत्सर इसी तरह सुरभित रहते ,
यज्ञ से सभी प्राणी निर्भय विनीत विचरण करते।।

यज्ञ वातास साँसों से अन्दर को जब चला जाता है,
यज्ञ वातास आकाश में चहुंओर बिखर जाता है ।
आक्सीजन की सांन्द्रता में समृद्धि फिर ये करता है,
यज्ञ से पर्यावरण सुवासित हो निखर-सुधर जाता है।।

यज्ञ द्वारा पंचतत्वों की परिपुष्टि ,शुद्धि होती है, 
यज्ञमय जीवन से आदर्शों की सन्तुष्टि , वृद्धि  होती है।  
यज्ञ की ज्वाला इदन्नमम् का उद्घोष- संघोष करती ,
यज्ञ की प्रतिभा  से वर्षा और अन्न में गुणवृद्धि होती है।

यज्ञ प्राचीनतम सुन्दर ,श्रेष्ठतम् विज्ञान है,
यज्ञ पर अद्यतन अब हो रहे अनुसंधान हैं।।
                 
🙏  इस सृष्टि  की आभारी🙏                         

✍️
प्रतिभा
पू.मा.वि वीरपुर छबीलगढी
जवां
अलीगढ़

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