हाँ!...मुझे याद नहीं
हाँ!...मुझे याद नहीं
तुम्हारा दिल लगाना,
वो मेरे करीब आना..
आकर वापस न जाना,
वो फिर मिलने का बहाना..
मेरे लिए खाना बनाना,
वो अपने हाँथों से खिलाना..
मुझे प्यार करना सिखाना,
वो फिर से नाराज हो जाना..
हाँ!...मुझे याद नहीं
कभी तेरी कमर मटकाना,
फिर मेरा ध्यान भटकाना..
कभी खुद को श्रंगार कर चमकाना,
फिर विलेन बन मुझे धमकाना..
कभी मुझे छूकर बहकाना,
फिर अपनी खुशबू से महकाना..
मुझे प्यार करना सिखाना,
फिर मेरे रूठने पर मुझे मनाना..
हाँ!...मुझे याद नहीं
चुपके से मिलने बुलाना,
वो मेरी हर गलती भुलाना..
अपनी गोद मे सुलाना,
वो अपनी बाहों में झुलाना..
मेरे कान में फुसलाना,
वो नए आशिको जैसे तुतलाना..
मुझे प्यार करना सिखाना,
वो मेरे दिल को दुखाना..
हाँ!...मुझे याद नहीं
हाँ!...मुझे याद नहीं
✍️
शिवम सिंह भदौरिया
सहायक अध्यापक विजयीपुर
ब्लॉक जनपद-फतेहपुर
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