ऐसी ही तो धरा चाहिए🌍🌳
ऐसी ही तो धरा चाहिए🌍🌳
अचानक से देखो ,ये क्या हो गया है ?
धरा पे सभी कुछ नया हो गया है!
हैं सड़के वही ,पर है सुनी -सुनी !
गाड़ियों की कही,गड़गड़ाहट नही है .....। घरो में सभी है......!
भीड़ कही भी नही है ।
अचानक से देखो ये क्या हो गया है .......!🙄
जहाँ हर गली में बस
कचरा था दिखता ...
वो गली अब बड़ी
साफ सी दिख रही हैं ।
बड़ी शांत सी ये जमी हो गयी है
अब .....चिड़ियों की ....
चहचआहट सुनायी दे रही है ।
खिल उठे सभी फूल कलियां
और पात ..!
इनकी मधुर खुशबु
मन्द मन्द सी आ रही हैं ।
कही अब न कोई
करुण हादसा हो रहा है ।
न कोई असहाय मारा जा रहा है।
धरा तो खुश है.....!
धरा पे सभी कुछ नया हो रहा हैं ।
नही है अब किसी को
किसी से शिकायत !
सभी निस्वार्थ ईश्वर का
मनन कर रहे हैं ।
चल रही है हिंडोले ले मधुर बयार
अम्बर भी हो गया कितना साफ
धुएं की धुंध अब कहीं भी नहीं है।
जो हिमालय ढका था गहन
धुंध में........वो हिमालय खड़ा
अब नजर आ रहा है ।
उजड़ा था जो श्रृंगार धरा का
आनन्दित सा वो अब लौट रहा है
विलुप्त हुए थे जो सारे प्राणी !
प्रकट हो रहा उनमे उल्लास अपार.....खुश है आज धरा का
ये सकल प्यारा परिवार ।
धरती अत्याचार से भर गयी
इस पर अब कर रहे विचार ।
धरा खुश हैं... !
आनन्दित वेगित सा
हुआ उसका मन हैं ।
वेणु सा गुँजित प्रकृति का
आज स्वर है ।
वृहद श्यामल ज्योत्सना ले आयी
किरणों की फिर लाली है ।
चमकीले स्वच्छ मेघ और
मखमली सी धानी हरियाली हैं।
स्वर्णिम सा यही तो है ...
धरा का स्वच्छ स्वरूप ...
सत्य स्वरूप ....!
"ऐसी ही तो धरा चाहिए"।।
✍️
दीप्ति राय (दीपांजलि)सo अo
प्राo विo रायगंज खोराबार
गोरखपुर
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