"सच्चा साथी कौन है "
"सच्चा साथी कौन है "
इस पथ पे ठिठकी...!
कुछ सोच रही हूँ मैं ....!
इस जीवन की अविरल बेला में
सच्चा साथी कौन है ?
सोचा समझा!समझा पाया ।
दृष्टि में यथार्थ नजर आया ।
जो संग खड़ा मेरे हरपल
जो हाथ थाम ले,कठिन राहों पर
जिन राहों पे लगता मुझे डर ।
हो सांझ सवेरा कोई पहर
तुम ही उजियारा लाते हो ।
उलझन में गर घबराऊ मैं
तुम ही तो धैर्य सिखाते हो ।
हो बोझ कितना भी सिर पे मेरे
तुम हिम्मत बन ख़ड़े हो जाते हो।
कोई भी शूल चुभे मन को
तुम पीड़ाहारक बन जाते हो ।
जब सब बाते कड़वीं लागे
मुझे मिश्री सी बाते पीलाते हो ।
हो राज कोई मुझसे कहकर
तुम सच्चे सखा बन जाते हो ।
जब थक जाऊ सब कामो में
तुम हर काम में हाथ बटाते हो ।
हृदय में आये विकट आवेगित
क्रोध कोई ....!
तुम मन्द मधुर पवन का
झोंक बन जाते हो ।
मेरी हर सफलता में तुम
मंजिल की सीढ़िया बन जाते हो।
देते हो ज्ञान के ऐसे शब्द
खुद के प्रतिभामय व्यकित्त्व से
मेरे अन्तःस्थल की तुम
प्रेरणा बन जाते हो ।
तुम अपना कर्त्तव्य निभाते हो
मैं अपना कर्त्तव्य निभाउंगी ।
जिस जीवनपथ पे तुमने साथ दिया ।
उस साथ को हृदय में बसाऊगी।
मेरे जीवन की बेला में ......
तुम दीपक हो ,मैं तेरी बाती
तुम ही तो हो ,मेरे जीवन का
"सच्चा साथी......जीवन साथी ।
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दीप्ति राय (दीपांजलि)सoअo
प्राo विo रायगंज खोराबार
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