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मेरी व्यथा

मेरी व्यथा

 मेरी व्यथा मेरी  कथा,
 झकझोरती है मन को अथाह।
 घर में अनाज का ना एक दाना,
 उस पर इस करोना का आना।
मेरा नहीं अब कोई ठिकाना,
इस लॉक डाउन में हमनें  ये जाना।
है गरीबी से बड़ी न कोई लाचारी,
उस पर मेरे बाबा की  बीमारी।
समय आज हम पर है भारी,
हाय है ये कैसी महामारी।
 बच्चे स्कूल जाते थे तो,
 भोजन आदि पाते थे ।  
 हुआ बंद जो यह स्कूल,
 बच्चे हुए भूख से व्याकुल।
जानता हूँ बुरा समय टल जाएगा,
पर हमसे और  सहा ना जाएगा।
हे भगवान कर मुझ पर इतना उपकार,
 मुझें करोना से कर दे बीमार।
वैसे भी हम भूख से मर जाएंगे,
कम से कम  मुआवजा तो पाएंगे।
 है ये रास्ता  आसान,
करोना से अब जाएं प्राण।
मेरे बच्चों ना हो परेशान,
अब ना होगा हमारा अपमान।
 एक मेरा यह बलिदान , 
देगा तुम सब को जीवनदान।
आशा का ना छोड़ना दामन, 
जाएगी निराशा आयेगा सावन।
 काली घटा छँट जाएंगी,
 हमें खुशियां मिल जाएंगी।

✍️
सुप्रिया मिश्रा(स.अ)
प्रा.वि.गंगा पिपरा
क्षेत्र-खजनी
जनपद-गोरखपुर

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