मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
गर्व है हम सभी को मेरा भारत महान,
मां भारती की अस्मिता के लिये जाने कितने हो रहें कुर्बान।
वे धन्य हैं बहादुर जवान,
सर्वश्य न्योछावर,
गाते बन्दे मातरम का गान।।
छुपे हुए हैं देश में बहुतायत गद्दार,
वर्षों तक लूट कर निकल जाते देश पार।
संरक्षण देते उन्हें कुछ देश के खद्दर दार,
लुटता देखते हैं, हमें लगता वो तो हैं बड़े समझदार।।
हर वर्ष हो रहा है लाखो का घोटाला ।
कभी टूजी कभी कोयला तो कभी हवाला।।
सब चुप है डरते है लेते न इनका नाम,
गर्व है फिर भी मेरा भारत महान।
इनके लिये न नियम न कोई कानून।
इसी लिये तो इन पर सवार है जूनून।।
अपनी ही मौज मस्ती हुए मतवाले।
अब तो देश को ही लूट रहे हैं देश के रखवाले।।
हिमालय से कन्याकुमारी तक फैला अपना देश महान,
पर घर के ही कुछ विभीषण जयचन्द जला रहे हिन्दुतान।
धीरे-धीरे मिट रहा है हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई वाले
भाईचारे का नामोनिशान।
गर्व है फिर भी मेरा भारत महान।।
गरल का घुट पी के दु:खी है ये नवल की जान।
कैसे बचेगी मिटती हुई भारत की शान।।
जेहन में सदा यही रहता,
क्या कुछ नहीं कर सकते लेखनी से चौथे स्तभ, राष्ट्र चिंतक और कवि?
दुःखी है देश के लिये निराला रवि।।
✍️
रवीन्द्र नाथ यादव (स. अ.)
प्राथमिक विद्यालय कोडार उर्फ बघोर नवीन, क्षेत्र - गोला, गोरखपुर।
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