एक अर्जी प्रभु के नाम
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एक अर्जी प्रभु के नाम
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हे प्रभु , करबद्ध तुमसे,
अब यही है प्रार्थना ।।
हो कोई भी राह मेरी,
छूटे ये तेरा साथ ना ।।
मानवता की त्रासदी,
करनी हमारी कह रही ।।
पाप की गंगा भी देखो,
चहुं दिशा में बह रही।।
दृष्टि रखना तुम दया की,
टूटे किसी की आस ना।।
है प्रभु करबद्ध तुमसे,
अब यही है प्रार्थना ।।
आज लोलुपता हमारी,
हमको ही जैसे डस रही।।
प्रेम का संदर्भ है,
ना सार गीता का कहीं।।
अर्जुन को ज्यों तुमने संभाला,
देखो हम पे भी आए आंच ना।।
है प्रभु करबद्ध तुमसे,
अब यही है प्रार्थना ।।
देश, दुनिया लड़ रहे,
जंगे लड़ाई वायरस ।।
लोग व्याकुल है सभी,
मन में रहा ना हास्य रस।।
मेरे प्रभु अब तुम संभालो,
छूटे किसी का साथ ना।।
है प्रभु करबद्ध तुमसे ,
अब यही है प्रार्थना।।
ना शोर गाड़ियों का है,
ना शंख,घंटो की ध्वनि।।
कैसा ये आया दौर है ,
विष व्यापत हो गई जमी।।
निस्तेज मानव हो गया,
प्रभु लौटा दो उनकी चेतना।।
है प्रभु करबद्ध तुमसे,
अब यही है प्रार्थना।।
हर तरह से अब मिटा दो,
इस जमीं का त्रास ना।।
हे प्रभु करबद्ध तुमसे,
अब यही है प्रार्थना ।।
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✍️
किरन गुप्ता(प्र०अ०)
प्रा.वि.परसिया
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