मिट जायेगा गहन तिमिर यह
!!मिट जायेगा गहन तिमिर यह !!
(कोरोना महामारी के संदर्भ में )
सहमी सी है वसुधा अपनी,
डरा हुआ अम्बर है,
मुश्किल में है ये जन जीवन,
कांप रहा हर मन है !
हवा के झोंके हुए विषैले,
स्पर्श में है बीमारी,
श्वास की घड़िया दुभर हो गयीं, फैली है महामारी !
मंदिर मस्जिद बंद हो गए,
खुले हैं श्मशानों के द्वार,
खुशियों पर पड़ गयीं बेड़िया,
बनी है विपदा पहरे दार !
प्रलयनाद सी यह महामारी,
जनमानस पर भारी,
मानव जीवन लील रही,
यह 'पशुओं की बीमारी ' !
विश्व युद्ध -सा द्वन्द चल रहा,
हर जर्रे -जर्रे में,
हुए अचंभित सोच रहे हैं,
मृत्यु छिपी कण- कण में !
बड़े -बड़े विकसित देशों पर,
छाई लाचारी -सी,
दिखे नहीं कोई उजियारा,
दुनिया बेचारी -सी !
विश्व पटल के विकसित देश, टिक न सकें इस रण में,
जो अपना डंका बजा रहे थे,
समृद्धि और बल में !
जो जितने विकसित थे,
वे उतने ही बर्बाद हुए,
पर अपनी 'संस्कृति' के बल पर,
हम सबकी मिसाल हुए !
'संयम' और 'सामर्थ्य' छुपा है,
देश के जनमानस में,
सक्षम और समृद्ध खड़े,
हम विपदा के इस क्षण में!
'मिट जायेगा गहन तिमिर यह,'
आशा के दीप जलाने से,
विजयगान का शंख बजेगा,
'सतर्कता' अपनाने से !
सन्नाटे -सी गलियों में,
फिर फैलेगा सुखमय उजियारा,
महानिशा के अंधकार में,
चमकेगा फिर ध्रुवतारा !
अपनी 'सभ्यता' और 'संस्कृति',
दुनिया को सिखलाना होगा,
वही सनातन धर्म हमें,
फिर से अपनाना होगा !
वही सनातन धर्म हमें,
फिर से अपनाना होगा !!
✍️
नीरजा बसंती (सहायक अध्यापक )
प्रा.वि.-गहना
ब्लॉक -खजनी
गोरखपुर
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