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प्रकृति

प्रकृति

शस्य श्यामला खेतो में
  बरस रही रिमझिम बारिश
मन उपवन पावन करती
   सब के मन को भाती बारिश
ये मृदु जल की नन्ही बूँदे
    जब गिरती धरती के तन पर
अनुभव होता मेरे मन को
भिगो रही है बरस बरस कर
    जब गिरती है चातक 
   पक्षी के मुख में 
ये स्वाति नक्षत्र की बूँदे
   प्यासे पक्षी को देती राहत
उसके मुख में जा धीरे धीरे
   जब ये गिरती सीप के भीतर
मोती का रूप धर लेती है
   जब गिरती है बारिश बनकर
 प्रकृति में हरियाली आती है
   लगता ये जग कितना सुंदर
 कितना निर्मल कितना पावन
    सबसे मेरा यही निवेदन
प्रकृति का मत करिए शोषण

✍️
रचयिता
श्रेया द्विवेदी
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय देबीगंज प्रथम
कड़ा कौशाम्बी

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