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गुडिय़ा का टेडी


     गुडिय़ा का टेडी
             
मां अब अकेले घर पर रह ना पाऊँ,
आज सहेली के पास क्या जाकर आऊं।

पाठशाला भी बंद दो माह से मेरी,
आखिर कैसे अपना दिल बहलाऊं।

बाहर जाने को जब मैं कहती हूँ,
कोरोना की दहशत तब तब भरती हो।

मां ने बुद्धि कुछ इस तरह लगाई,
मन बहलाने सुंदर सा टेडी ले आई।

गुडि़या को प्यार से गले लगाया,
संक्रमण से छुटकारे के बारे में समझाया।

फिलहाल घर के बाहर नहीं जाना है मजबूरी,
वरना कोरोना से लड़ाई रह जायेगी अधूरी।

यदि भूले-बिसरे तुम घर बाहर जाना,
तुरंत आकर सेनेटाइजर लगाना।

मास्क पहिनकर ही हिलना-डुलना,
दूर से टाटा, बाय-बाय तुम करना।

यही उपाय अपनाओ ओ माई बेबी
और ले लो प्यारा, सुंदर  गिफ्ट मुझसे टेडी

✍️
श्रेया द्विवेदी
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय देवीगंज 
कड़ा कौशाम्बी

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