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ये नव वर्ष क्या लाया 🙄

ये नव वर्ष क्या लाया 🙄

क्या मनाऊ मैं ......! ये नव वर्ष
ये नव वर्ष क्या नया लाया ?
रोज की वही खबरे
कुछ तो नया नही हो पाया !
वही मजबूर .....मजदूर ..
ठिठुरती ठंड में रोटी के लिए
सिर पे उठाये ईंटो का ढेर !
वो रिक्शावाला अपनी मांस- पेशियों की शक्ति से खिचता हुआ
इंसानो का बोझ ......!
वो सब्जीवाला मुहल्ले में ठिठकते हुए ....जोर -जोर से ..
सब्जियों के भाव बताना ।
कुछ तो नया नही हो पाया ...!
नव वर्ष में ....।
जो पुराने साल में था 
वही इंसान इस साल भी हैं ।
जो हैवान बन गये थे ...!
वो आज भी है ।
जो हैवानियत भूल नही पाये है
वो आज भी है ..।
रोटी की जरूरत है जिसे
उसे न देकर ....
फेक देते है रोटी जो कचरे में !
वो आज भी है ...।
कुछ तो नया नही हो पाया .....
नव वर्ष में ...!
भूख से तड़फते मरते है रोज
वो आज भी है....।
बंजारों की तरह घूमते है ....
जो हर सुबह दर -बदर
रात खुले आसमा तले सोते है !
वो आज भी है ....।
स्कूल तो दूर जो खाने को मोहताज...कर रहे बाहर काम !
वो बेबस बच्चे .!आज भी है ....।
कही किसी घर में जलता चूल्हा
कही किसी घर में सिर्फ उठता हुआ धुँआ ....! आज भी है ....।
आखिर ये नव वर्ष क्या .....
नया लाया ....?
कही कोई बैठा तन को
खुद से ही ढ़क के ...
कही बच्चों के तन  पे
लटकटे -चीथड़े....!आज भी है..।
आपदायें आती है और ....
बहा ले जाती है ..किसानो की
पसीने भरी मेहनत ..!
ऐसे लाचार किसान .. ..
आज भी है ....।
छल ,कपट ,ईर्ष्या कल तक थी जिनमे .....इन विशिष्ट उपलब्धियों से युक्त्त मानुष
आज भी है ....।
मुद्दतो से जो समाज में रूढ़िवादिता थी...सालो बाद भी
उसी मकाम पे वो..!आज भी है.।
बेटी जैसी अमूल्य निधि को नष्ट
करने की...क्रूर अशोभनीय कृत्य
आज भी है ....।
नव वर्ष तो उनका है जो!
अपने फायदे में गरीबो को कुचल 
आते है....अमानवीय व्यवहारों वाले.....! आज भी है ....।
हाँ..!नव वर्ष तो उनका ही है साहब ...!
जो रोटी की भूख को न जान पाते
है...और हजारो नोट नव वर्ष की
खुशियो पर उड़ा आते है ...!वो आज भी है .....।
तो क्यों ?  मनाऊ....ये नव वर्ष
जब ये नव वर्ष कुछ भी.....
नही बदल पाया !
अन्तःस्थल में कई प्रश्न है ...!
क्या यही नव वर्ष है ...?


✍️
दीप्ति राय(दीपांजलि) सoअo
प्राoविo रायगंज खोराबार 
गोरखपुर

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