बालश्रम
बालश्रम
आज देश के लोगों से इतना अनुरोध हमारा है।
बंद करो बालक - श्रम को यदि बचपन तुमको प्यारा है।
जिन हाथों में बस्ते चाहिए कापी, पुस्तक और पेंन्सिल।
उन हाथों में बरतन झाड़ू देख सिसकता मेरा दिल।।
इन नौनिहालों भारत भविष्य का जीवन क्यों अंधियारा है।
बंद करो बालक श्रम.....…...
जागो - जागो देश के लोगों, देश को मत बरबाद करो।
देकर के गणवेश पुस्तकें, जीवन इनका आबाद करो।।
हम सबका दायित्व हैं ये, स्कूल इन्हें भी प्यारा है।
बंद करो बालक श्रम...........
इनकी भी मां है ये धरती, ये भी गगन पर नाज़ करें।
फिर क्यों ये कूड़ा बीनें ? क्यों ढाबे पे बर्तन साफ करें।।
इनकी आंखों में आंसू है इस दर्द ने हमें पुकारा है।
बंद करो बालक श्रम............
सबमें सद्बुध्दि भरो प्रभु जी! सबमें परमार्थ का भाव जगे।
ये पढ़ लिखकर कुछ बन जायें, इनका भी दुर्भाग्य भगे।।
स्नेह "सुमन" निर्झर से सिंचित, इनका जीवन सारा हो।
बंद करो बालक श्रम..........
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बृजबाला श्रीवास्तवा'सुमन'(स0अ0)
प्रा0 वि0 भीखमपुर
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