उम्मीद का "दीया"🕯️
उम्मीद का "दीया"🕯️
यूँ मैं बड़ी खूबी से दीयों से दीयों को मिलाऊँगा.....
मैं इस अंधकार को कुछ यूँ हराऊँगा...
मैं कुछ पल के लिए यही ठहर जाऊँगा....
मैं रोशनी के नये मायने समझाऊँगा...
मैं इस अंधकार को कुछ यूँ हराऊँगा....
मैं राम की मर्यादाओं के किस्से सुनाऊँगा..
मैं मानवता के नए फर्क बताऊँगा....
मैं देश को राम की अयोध्या बनाऊँगा....
मैं खुद में राम को ढूढ़ कर दिखाऊँगा....
मैं इस अंधकार को कुछ यूँ हराऊँगा....
कुछ असहज ही सही मैं खुद में ...
मैं वक़्त से तकरार कर जाऊँगा...
नामुमकिन ही सही , कोरोना को भी हराऊंगा....
मैं सार्थक हो कर दिखाऊँगा....
मैं इस अंधकार को कुछ यूँ हराऊँगा....
मैं मुमकिन कोशिशों से देश को एक बनाऊँगा....
मैं कोरोना योद्धाओं की गौरवगाथा गाऊँगा...
मैं समर्पण की कहानियाँ सुनाऊँगा....
मैं हौसलों की आयतें पढ़ कर दोहराऊँगा...
मैं इस अंधकार को कुछ यूँ हराऊँगा....
" मैं आज उम्मीदों का दीया जलाऊँगा...."
Kya baat hai... Nice
जवाब देंहटाएंShukriya shukriya
हटाएंअति सुन्दर रचना मित्र
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