जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग
वो कहते थे, अपनी शख्सियत से बड़ा था मैं...
कही दूर, अकेले खुद के विरुद्ध लड़ा था मैं...
कुछ बेबाक हो कर सब लिखने वाला मैं ! शायर ....
जलियांवाला बाग के सामने ठिठक कर खड़ा था मैं....
जलियांवाला बाग के सामने ठिठक कर खड़ा था मैं....
सही और गलत के द्वंद में पड़ा था मैं....
मिट्टी के मोल, शहादत के बोल से बड़ा था मैं...
अपनी पहचान, अपने अभिमान से लड़ा था मैं....
आजादी के सुनहरे सपनों में जगा था मैं.....
जलियांवाला बाग के सामने ठिठक कर खड़ा था मैं....
श्री नानकदेव , श्रीगुरुगोविन्दसिंह के संकल्प से बना था मैं.....
शहीदों के संघर्ष में तपा था मैं....
भगतसिंह , सुखदेव के प्रतिशोध से जन्मा था मैं....
मैं रोशनी सा था ,उम्मीद से बना था मैं
जलियांवाला बाग के सामने ठिठक कर खड़ा था मैं....
मैं अतीत सा था, वर्तमान से लड़ा था मैं....
जनरल डायर की मौत के लिए स्वाभिमान से लड़ा था मैं.....
हा ! मैं क्रांतिवीर उधम सिंह हूँ ....
भारत माता के अभिमान के लिए लड़ा था मैं....
✍️
शुभम श्रीवास्तव (स०अ०)
प्राoविoचकभुनगापुर
ब्लॉक-हथगाम
जनपद-फतेहपुर
बहुत उम्दा रचना भाई 👌👌👌👍💐
जवाब देंहटाएंVery nice 👌👌
जवाब देंहटाएं