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चलो घर से जगाते हैं

चलो घर से जगाते हैं

चलो घर से जगाते हैं
समय घर पर बिताते हैं।
कोरोना को हराते हैं ।।
महामारी से बचते हैं 
और अपनों को बचाते हैं।
समय घर पर बिताते हैं 
चलो घर से जगाते हैं।।
जो कहते हैं कि हमको 
कुछ न हो सकता।
भयावहता बीमारी की 
चलो उनको बताते हैं।
घरों से ही जगाते हैं ।
समय घर पर बिताते हैं
चलो घर से जगाते हैं।।
अगर बातों को अनदेखा 
कर मनमर्जी चलाते हैं ।
तो अपने ही हितैषी को 
काल के पास लाते हैं।।
चलो घर से जगाते हैं
समय घर पर बिताते हैं।।
विकट विपदा के क्षण हैं 
ये समझना भी जरूरी है।
हराना गर कोरोना को 
चलो दूरी बनाते हैं।।
चलो घर से जगाते हैं।
समय घर पर बिताते हैं।।
महामारी के संकट में 
हमें धीरज दिखाना है।
घरों में कैद होकर के 
चलो बचते बचाते हैं।।
चलो सबको बचाते हैं
चलो घर से जगाते हैं।
समय घर पर बिताते हैं।।
नए अनुभव इकट्ठा कर 
सभी साझा सिखाते हैं।
पसंदीदा काम में सब
समय अपना बिताते हैं।
सजावट या सफाई में 
ध्यान अपना लगाते  हैं।।
चलो घर से जगाते हैं 
समय घर पर बिताते हैं।
न है ये जंग अकेले की 
सभी को साथ देना है।।
युवा बालक बुजुर्गों का 
चलो जीवन बचाते हैं ।
चलो घर से जगाते हैं 
समय घर पर बिताते हैं।।
जरा सी बेपरवाही में 
हजारों जान संकट में।
चलो सहयोग देकर के 
संक्रमण से बचाते हैं।।
चलो घर से जगाते हैं 
समय घर पर बिताते हैं। 
स्वयं को घर में रख करके
समर में भाग लेते हैं।।
बिना तलवार लड़ते हैं 
कोरोना को हराते हैं।
सभी नियमों का पालन कर 
चलो दुश्मन भगाते हैं।।
चलो घर से जगाते हैं 
समय घर पर बिताते हैं।।
जमाखोरी नहीं करके
 जरूरत को तवज्जो दे ।
जरूरतमंद का कर सहयोग
चलो मानवता दिखाते हैं।।
चलो मानवता दिखाते हैं  
समय  घर पर बिताते हैं।
चलो घर से जगाते हैं 
समय घर पर बिताते हैं ।
समय घर पर बिताते हैं।।

✍️
नीलम भदौरिया(प्रधानाध्यापिका)
प्रा0 वि0 पहरवापुर मलवां 
जनपद-फतेहपुर

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