हाय रे कोरोना
हाय रे कोरोना
सूक्ष्म जीवों की यह लड़ी है,
बाहर देखो मौत खड़ी है।
छिपे सिकंदर घर के अंदर,
बस्ती भी बेसुध पड़ी है।।
शहर गाँव वीरान हुआ,
सब देखो सुनसान हुआ।
ऐसा ये क़ोहराम न देखा,
जान-ए-जहांँ नुकसान हुआ।।
प्रभुता सब की धरी रही,
लघुता अब तक अड़ी रही।
स्थूल जो था वो बौन हुआ,
सूक्ष्म की टक्कर कड़ी रही।।
सैन्य-शक्ति का दर्प घटा,
कोरोना से कायनात भिड़ी है।
हथियारों में जंग अटा,
अणुजीवों से जंग छिड़ी है।।
कबीर दास जी के इस कथन को यहांँ याद करना समीचीन होगा-
लघुता से प्रभुता मिले,प्रभुता से प्रभु दूर।
चींटी शक्कर ले चढ़ी,हाथी के सर धूर।।
✍️अलकेश मणि त्रिपाठी "अविरल"(सoअo)
पू०मा०वि०- दुबौली
विकास क्षेत्र- सलेमपुर
जनपद- देवरिया (उoप्रo)
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