'कोरोना युद्ध'🚑
'कोरोना युद्ध'🚑
प्राणों का प्यासा हुआ वही, जो प्राणों से प्यारा था
उन हाथों ने घात किया, जिनका मुझे सहारा था
है यह समर भयंकर शव छितराए दिखते हैं
जो कल तक थे खेवनहारे शीश झुकाए दिखते हैं
ऐसे विषम समय में तुमने अपना कर्तव्य निभाया होता
ऐसे विषम समय में तुमने भाई का धर्म निभाया होता
इतिहास कहेगा जीता रण मैंने अपनों से हारा था
उन हाथों ने घात किया, जिनका मुझे सहारा था
अपना न कभी समझा, तुम सदा रहे औरों के बहकावे में
निश्छल प्रेम न समझे तुम, उलझे व्यर्थ दिखावे में
अब क्षत-विक्षत यह देह संभालो, मुक्त हुआ मैं इससे
ध्वंस किया उपवन सारा, जिसने तुमको संवारा था
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शुभम मिश्रा(अग्नि)
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