प्रकृति की आवाज
प्रकृति की आवाज
जीवन मे कभी ऐसा भी होगा ये तो ना सोचा था।
अलग अलग रहना यही जीवन को बचाएगा ये भी एक दिन होना था।।
चाँद सूरज पेड़ पौधे चिडियो का कलरव सा समय जारी है।
कोयल की मीठी कूक और अमिया की हरियाली है।
सब कुछ तो वैसा ही है पर ये दिन हम इंसानों पे ही क्यों भारी है।
क्या हमारे लालच आराम भौतिकता की वजह से आई ये महामारी है।
इसका खौफ पूरे विश्व मे ही जारी है।
क्या प्रकृति की यही किलकारी है।
मुझे बचा लो दो पेड़ तुम भी लगा लो तुम मुझे बचा लो मै तुम्हे संभाल लूंगी।
कोरोना तो एक दिन जाना ही जाना है पर प्रकृति को तो सदा के लिए बचाना है।
हम दोनों का परस्पर मेल ही तो जीवन है तुम मुझे सवार देना मै तूझे सभाल लूंगी।।
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मधुमिता श्रीवास्तव(स.अ.)
प्राथमिक विद्यालय झरवा
क्षेत्र-खोराबार
Awesome mam
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
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