मजहब
" मजहब "
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है कौन वो जो मजहब का पाठ पढ़ाया है ,
इंसां को इंसां के खिलाफ भड़काया है
ये हिन्दू है ,ये मुसलमा है ,
ये कौन हमको बतलाया है
है कौन वो जो मजहब का पाठ पढ़ाया है ,
इंसा को इंसा के खिलाफ भडकाया है
एक नीर है, एक पीर है,
तो कौन है जो इनमे फर्क बतलाया है
है कौन वो जो मजहब का पाठ पढ़ाया है ,
इंसा को इंसा के खिलाफ भड़काया है
जन्म लिया तो माँ को ही पाया है ,
एक ही तो उसकी आचल का छाया है
फिर कौन है वो जो ,
माँ और माँ में फर्क बतलाया है
सुबह को शाम कहकर बताया है ,
है कौन वो जो मज़हब का पाठ पढ़ाया है ,
इंसा को इंसा के खिलाफ भड़काया है
हरा मुसलमा है ,हिन्दू केशरिया है ,
ये कौन हमको बतलाया है
है कौन वो जो रंग को मजहब से मिलाया है
इंसा को इंसा के खिलाफ भडकाया है ,
उसको टोपी का तो तुझमे चोटी का क्यू गुमान करवाया है
क्या यही तेरे ईश्वर का फ़रमान बनकर आया है ,
हर दिल में मजहब की मिशाल कौन जलाया है
हिन्दू - मुस्लिम का दंगा कौन करवाया है ,
एक भाई से दूसरे भाई का सर किसने कटवाया है
हर दिल मे नफरत की ज्वाला को जगाया है ,
है कौन वो जो मज़हब का पाठ पढाया है
इंसा को इंसा के खिलाफ भड़काया है ,
✍️
आशुतोष कुमार(स०अ०)
प्रा०वि० बन्दीपुर,हथगांव
फतेहपुर(उ०प्र०)
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