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ये क्या हो रहा है😦🤔🌍

ये क्या हो रहा है😦🤔🌍

आसमान रो रहा है
धरती कांप रही है
क्या हो रहा जहा में
कोई तो सुन रहा है!
दिन ब दिन हालात
बदलते ही जा रहे है
क्या हुआ है ऐसा
इंसान इंसान को ही
गर्त में डूबा रहे है ।
मुश्किल था जो इस जहा में
वो मुमकिन हो रहा है !
इंसान बन गया पशु 
स्वार्थ में खो रहा है ।
क्या हो रहा जहा में!
कोई तो सुन रहा ?
इंसानियत है या हैवानियत कहू
समझ से परे हुआ...
अब किसे क्या कहू ।
खण्डित हुआ है मन
आवेगित प्राण है
देख सृष्टि का यह विकराल रूप
हृदय करुणामय हो परेशां है।
आवाज आ रही है
सुन सकते हो! तो सुन लो!
धरती माँ कहारती है
ऐ लाल ! मेरे सुन लो ।
दिया विस्तृत निर्मल प्रकृति का रूप तुमको....
करते आ रहे हो निर्मम
संहार तुम .....
हश्र हो रहा है !
देखो क्या ! 
धरा पर आज
फैल गयी कैसी
देखो विपत्तियां आज।
हाहाकार मच उठा है
एक अजब बीमारी काल रूप में आयी है ....
कोरोना नाम इसका
दुनिया को रुलाने आयी है !!
पहले भी आगाह किया तुमको
कई आपदायें आयी तुम पर
नही सम्भाल पाये तुम मानव !
मुझे खुद के काले कृत्यों से
करते तुम नित अनेक प्रहार
जीवो पर न दया तुमको
करते नित उनका संहार!
तभी तो मानव तुम भुगत रहे हो।
देखो न हो गयी सब गलियाँ सूनी
सन्नाटे ने लिया पैर पसार ।
ये क्या हो रहा है !
कोई तो सुन रहा है !
इसी धरा पे जन्में तुम
इसी धरा ने अन्न दिया
घोल रहे तुम जहर हवा में
भर रहे कचरा नित धरा में
धरती स्वर्ग बनानी थी
बना दिया तूने श्मशान !
फैल गयी ऐसी महामारी
ले रही रोज सैकड़ो जान ।
जब धरती दर्द से सिहर जायेगी
तब सिर्फ प्रलय ही लायेगी
सुनामी,अतिव्रष्टि, अकाल
जाने क्या-क्या लायेगी
फिर...?
कोरोना की तरह ही
कोई और महामारी आयेगी ।
और फिर !
न जाने कितने जीवन भक्षण कर जायेगी ...!
तेरे कारण सब नष्ट हो रहा
मलीन होने से बचा..
धरती का निर्मल सूंदर आकार ।
कर तू जरा इस पर विचार
क्यों ! आती है ऐसी आपदा ?
तू ही तो है इसका सूत्रधार !
    क्या हो रहा जहा में ....!
     कोई तो सुन रहा है....!

✍️
दीप्ति राय(दीपांजलि) सoअo 
प्राथमिक विद्यालय रायगंज 
खोराबार ,गोरखपुर

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